अरुण कुमार पूर्णिया : पूर्णिया से निकलनेवाली सियासत की राह किसी के लिए आसान नहीं. यही कारण है कि सभी दलाें ने पूरी ताकत झोंक दी है. पूर्णिया की सात सीटों के लिए कुल 105 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
इनमें एनडीए गठबंधन के तहत भाजपा व जदयू तीन-तीन और एक सीट पर हम के प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि महागठबंधन की ओर से कांग्रेस और राजद तीन-तीन व एक सीट पर सीपीआइ के प्रत्याशी मैदान में हैं. इसके अलावा लोजपा ने 4, रालोसपा ने 2, एआइएमआइएम ने 3 व पप्पू यादव के नेतृत्व वाली जन अधिकार पार्टी ने 3 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं.
पिछले 2015 के विस चुनाव में पूर्णिया की कुल सात में से भाजपा व जदयू क्रमश: दो-दो, कांग्रेस दो व राजद एक सीट पर कबिज थी. इस बार राजनीतिक दलों के बने नये सियासी गठबंधन के बीच हो रहे चुनाव में हर तरफ ‘विकास बनाम बदलाव’ की गूंज सुनायी पड़ रही है. महंगाई व भ्रष्टाचार के मुद्दे गुजरते वक्त के साथ गौण पड़ते जा रहे हैं. बिहार में हुए दो चरणों के चुनाव के बाद से ही नेताओं के स्वर भी बदलने लगे हैं.
इतिहास गवाह है कि यहां का सियासी मिजाज हमेशा विपरीत धारा में चलने का रहा है. पूर्णिया की अधिकतर सीटों पर चुनावी सफलता की कुंजी एम वाई ( मुस्लिम व यादव) मतदाताओं के ‘संतुलन’ व ‘असंतुलन’ पर बहुत हद तक टिकी है. राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें, तो आमने-सामने की लड़ाई में एमवाई अपनी निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में है.
लेकिन, जहां लड़ाई तिकोनी होगी, वहां दुविधाजनक स्थिति बरकरार हो सकती है. यह दुविधा ही अंतत: असंतुलन का कारण बन सकती है. इन इलाकों में लोजपा व ओवैसी के साथ-साथ पप्पू यादव का फैक्टर भी मायने रखता है.
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सबसे ज्यादा परेशानी भीतरघात से है. हर दल इस परेशानी से जूझ रहा है. चुनाव में जिनके पत्ते कटे, वे बागी हो गये. जो बागी नहीं हुए वे दल में रहकर भीतरघात करने पर आमादा हैं. इनमें कई बागी भी चुनाव लड़ रहे हैं.
7 नवंबर को होने वाले चुनाव में दो मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. पूर्णिया की रूपौली सीट से मंत्री बीमा भारती व बनमनखी सुरक्षित सीट से मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि शामिल हैं.
धमदाहा विधानसभा में कुल 18 प्रत्याशी मैदान में हैं. इनमें जदयू से लेसी सिंह का सीधा मुकाबला राजद प्रत्याशी दिलीप कुमार यादव से है. लेसी सिंह इससे पहले चार बार व दिलीप यादव दो बार चुनाव जीत चुके हैं. इस सीट से लोजपा से योगेंद्र कुमार व राष्ट्रीय लोक समता पार्टी से रमेश कुमार मेहता भी चुनावी अखाड़े में डटे हुए हैं.
इस सीट पर सबसे कम 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. कांग्रेस से जलील मस्तान सातवीं बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. एआइएमआइएम से अख्तरूल ईमान व जदयू से सबा जफर चुनाव मैदान में हैं. यहां वोटों के बिखराव का खतरा दिख रहा है. सभी वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं.
कसबा विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी आफाक आलम चौथी बार चुनावी अखाड़े में ताल ठोक रहे हैं. एनडीए गठबंधन के तहत हम प्रत्याशी राजेंद्र यादव कांग्रेस को सीधी टक्कर दे रहे हैं. इस सीट से भाजपा से बगावत कर प्रदीप दास के लोजपा से खड़े हो जाने से चुनाव रोचक हो गया है.
रूपौली विधानसभा सीट से बिहार सरकार की मंत्री बीमा भारती समेत कुल 15 उम्मीदवार मैदान में हैं. एक तरफ एनडीए समर्थित जदयू प्रत्याशी बीमा भारती पांचवीं बार अपनी किस्मत आजमा रही हैं, तो दूसरी तरफ इस सीट से महागठबंधन से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से विकास चंद्र मंडल व लोक जनशक्ति पार्टी से शंकर सिंह भी ताल ठोक रहे हैं.
बनमनखी सुरक्षित सीट से बिहार सरकार के मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि पांचवीं बार चुनावी मैदान में हैं. महागठबंधन ने इस बार राजद के उपेंद्र शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है. पिछली बार दूसरे स्थान पर रहे संजीव कुमार पासवान इस बार जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं.
बायसी विधानसभा सीट से कुल एक दर्जन उम्मीदवार चुनाव मैदान में है. महागठबंधन ने अपने पुराने प्रत्याशी हाजी अब्दुस सुबहान को राजद से चुनाव मैदान में उतारा है. भाजपा ने उनसे मुकाबला के लिए बिनोद कुमार को मैदान में उतारा है. इस सीट से एआइएमआइएम से सैयद रुकनुद्दीन व जाप से इसराइल आजाद भी चुनावी अखाड़े में ताल ठोक रहे हैं.
पूर्णिया सीट से सर्वाधिक 23 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. इनमें भाजपा से विजय खेमका दूसरी बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी इंदू सिन्हा से है. पिछली बार इंदू सिन्हा 59,205 मत पाकर दूसरे स्थान पर थीं. इस बार भी मुकाबला आमने-सामने का है.
Posted by Ashish Jha