रांची : झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव टलना तय है. इस साल नवंबर में ही पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. पूर्व में दिसंबर में चुनाव प्रस्तावित था. लेकिन, कोविड-19 के संक्रमण का भय और राज्य निर्वाचन आयुक्त के रिक्त पद की वजह से चुनाव की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो सकी है. चुनाव के पहले आयोग क्षेत्रों का परिसीमन करता है.
नया वोटर लिस्ट तैयार किया जाता है. कोटिवार आरक्षण तय होता है. मतदाताओं से आपत्तियां भी आमंत्रित कर उनका निराकरण किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को तय करने में करीब छह महीने लगते हैं. राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद रिक्त होने के कारण आयोग का कामकाज प्रभावित हो रहा है. चुनाव की तैयारी पर ब्रेक लगा हुआ है. राज्य सरकार द्वारा आयुक्त की नियुक्ति के बाद ही चुनाव की तैयारी की जा सकेगी.
स्थगित किया गया था 14 नगर निकायों का चुनाव : राज्य के 14 नगर निकायों का चुनाव पहले ही स्थगित किया जा चुका है. मई-जून में होने वाले निकायों का चुनाव तैयारी पूरी करने के बाद कोविड-19 के संक्रमण की आशंका के कारण स्थगित कर दिया गया था.
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दो साल के अंदर बने राज्य के छह नगर निकायों गोमिया, बड़की सरिया, धनवार, हरिहरगंज, बचरा और महागामा में पहली बार चुनाव होने थे. वहीं, धनबाद, देवघर, चास, चक्रधरपुर, झुमरी तिलैया, विश्रामपुर, कोडरमा और मझियांव नगर निकायों में भी कार्यकाल पूरा होने के कारण चुनाव की तैयारी की गयी थी. इससे अलग विभिन्न नगर निकायों के पांच वार्डों की रिक्त सीट पर उपचुनाव कराने की भी योजना थी. अब राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति होने तक निकायों का चुनाव भी संभव प्रतीत नहीं होता है.
वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर राज्य में पंचायत चुनाव कराना इस साल संभव नहीं है. जानकारों के अनुसार राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के बाद भी चुनाव संपन्न कराने में कम से कम छह माह लग जायेंगे. ऐसे में अगले वर्ष मई-जून तक चुनाव कराना संभव नहीं होगा. उल्लेखनीय है कि इसी साल जुलाई में तत्कालीन राज्य निर्वाचन आयुक्त एनएन पांडेय सेवानिवृत्त हुए थे. उसके बाद से यह पद रिक्त है.
नवंबर में पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल पूरा होने के बाद राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की डोर अधिकारियों के हाथ में चली जायेगी. कार्यकाल पूरा होने के बाद वार्ड सदस्यों से लेकर मुखिया व जिला परिषद सदस्यों की शक्ति समाप्त हो जायेगी. उसके बाद वार्ड या ग्राम स्तर पर विकास योजनाओं का चयन, क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग का पूरा कार्य अधिकारियों को सौंप दिया जायेगा.
posted by : sameer oraon