Bihar Election 2020 : अजीत, भागलपुर : पहले चरण में सुल्तानगंज व कहलगांव सीट पर मतदान के बाद अब दूसरे चरण में भागलपुर जिले की पांच विस सीटों पर मतदान होना है. दूसरे चरण में जिन सीटों पर मतदान होना है उनमें भागलपुर, पीरपैंती, नाथनगर, गोपालपुर व बिहपुर की सीटें हैं. वर्तमान में इन पांच सीटों में भागलपुर में कांग्रेस, पीरपैंती व बिहपुर में राजद, नाथनगर व गोपालपुर सीट पर जदयू का कब्जा है.
मतदान की तिथि नजदीक आने के साथ ही प्रचार अभियान चरम पर है. सभी पार्टियों ने जोर लगाया है. हालांकि, बागियों की सक्रियता ने हर सीट का समीकरण बदल दिया है. सभी जगहों पर पारंपरिक वोट बैंक में सेंधमारी होने की संभावना बन रही है, इसलिए वोट के बिखराव को रोकने की रणनीति पर सभी काम कर रहे हैं.
भागलपुर विस सीट पर इस बार कांग्रेस के टिकट से वर्तमान विधायक अजीत शर्मा फिर मैदान में हैं. भाजपा ने रोहित पांडेय को अपना प्रत्याशी बनाया है. इस सीट पर बागियों ने एनडीए व महागठबंधन प्रत्याशियों की नींद उड़ा दी है, जबकि लोजपा प्रत्याशी राजेश वर्मा मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए प्रयासरत हैं.
कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से नाराज पूर्व जिलाध्यक्ष शाह सज्जाद अली मैदान में हैं, तो दूसरी ओर बागी विजय साह ने भाजपा प्रत्याशी की नींद उड़ा दी है. लोजपा ने भाजपा की सीटों पर प्रत्याशी नहीं उतारने की बात कही, लेकिन भागलपुर में डिप्टी मेयर राजेश वर्मा को सिंबल दिया. ऐसे में इस बार का चुनाव भागलपुर सीट पर रोचक हो गया है.
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पीरपैंती सीट पर महागठबंध से राजद के रामविलास पासवान एक बार फिर मैदान में हैं. भाजपा ने इस बार फिर ललन पासवान पर ही दांव खेला है. ललन को टिकट मिलने से नाराज पूर्व विधायक अमन पासवान बागी हो गयी. वह निर्दलीय ही मैदान में हैं.
आमने-सामने की टक्कर अब त्रिकोणीय बन चुकी है. विक्षुब्धों का एक खेमा अमन के साथ है. इसके साथ ही इस सीट पर मुकाबला रोचक होता जा रहा है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो अमन की दावेदारी ने इस सीट का समीकरण ही बदल दिया है.
बिहपुर सीट पर इस बार पूर्व सांसद शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल चुनाव मैदान में हैं. पिछले चुनाव में बुलो मंडल की पत्नी वर्षा रानी ने भाजपा प्रत्याशी इंजीनियर शैलेंद्र को हराया था. इस तरह मुकाबला पुराने प्रतिद्वंद्वियों में ही है.
बुलो मंडल युवा राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. सांसद चुनाव में हार के बाद बिहपुर की सीट पर उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है. तो इंजीनियर शैलेंद्र भी इस बार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. हालांकि, जाप प्रत्याशी अजमेरी के मैदान में आने से बुलो के लिए परेशानी हुई है. देखना यह है कि आमने-सामने की लड़ाई में इस बार कौन बाजी मारता है.
उपचुनाव में इस सीट से जदयू के लक्ष्मीकांत मंडल ने जीत दर्ज कराया. एक बार फिर वह मैदान में हैं. राजद ने इस बार अपना प्रत्याशी बदला है. इस बार अशरफ सिद्दीकी को उम्मीदवार बनाया है. पिछले उपचुनाव में राजद की हार के कारण बने आलोक यादव एक बार फिर बसपा के टिकट पर मैदान में हैं. हालांकि इस बार लक्ष्मीकांत की राह भी आसान नहीं है.
पार्टी का एक गुट नाराज है. इसके अलावा लोजपा से अमर कुशवाहा को टिकट मिलने से यहां का मुकाबला दोनों दलों के लिए जोर-आजमाइश का हो गया है. राजद की ओर से तेजस्वी, तो जदयू की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सभा हो चुकी है. बसपा प्रत्याशी के समर्थन में एआइएमआइएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी भी सभा कर चुके हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार भी जीत-हार का अंतर कम ही रहनेवाला है.
चार बार से विधायक रहे गोपाल मंडल की राह इस बार आसान नहीं है. जदयू ने एक बार फिर उन्हें मैदान में उतारा है. राजद ने नये चेहरे शैलेश यादव पर दांव खेला है. इन सबके बीच पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेश भगत लोजपा के सिंबल पर मैदान में डटे हैं.
सुरेश भगत पिछला चुनाव भी निर्दलीय लड़ चुके हैं. हालांकि, इस बार लोजपा के टिकट पर मैदान में आने से मुकाबला त्रिकोणीय होता जा रहा है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो वैश्य व सवर्ण मतों का झुकाव ही इस सीट पर जीत-हार का फैसला करेगा.
Posted by Ashish Jha