पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण का मतदान 3 नवंबर को होगा. सभी पार्टियों ने अपना-अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. इनमें नौकरियों से लेकर स्ट्रीट लाईट और फ्री कोरोना वैक्सीन देने तक वादा किया गया है. लेकिन, किसी भी राजनीतिक दल के मेनिफेस्टो में बच्चों को जगह नहीं दी गई है.
उनकी शिक्षा, उनका स्वास्थ्य, उनकी जिंदगी, पोषण और बेहतर भविष्य का रोड मैप किसी भी पॉलिटिकल पार्टी के मेनिफेस्टो में नहीं दिखा.
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बच्चे आगे बिहार आगे मेनिफेस्टो
इन सबके बीच बिहार में एक एनजीओ की सहायता से बच्चों ने अपना मेनिफेस्टो बनाया है. मेनिफेस्टो का नाम दिया गया है बच्चे आगे बिहार आगे. इसमें चुनावी मौसम में बच्चों से जुड़े मुद्दों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है. ये मेनिफेस्टो तमाम राजनीतिक दलों को भेजा गया है.
बिहार के बच्चों ने बनाया मेनिफेस्टो
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एक गैर सरकारी संगठन ने बिहार में तकरीबन 500 बच्चों से बातचीत की. ये बच्चे अलग-अलग शहरों से चाइल्ड ट्रैफिकिंग और चाईल्ड लेबर से रेस्क्यू किए गए हैं. इन बच्चों से बातचीत के आधार पर बच्चे आगे बिहार आगे नाम का मेनिफेस्टो तैयार किया गया.
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बिहार में सबसे ज्यादा बच्चों की संख्या
ये मेनिफेस्टो क्यों तैयार किया गया. ये समझने से पहले जानिए की बिहार में बच्चों की स्थिति क्या है. 2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार में सबसे ज्यादा 46 फीसदी जनसंख्या बच्चों की है. 5 से 14 साल तक के बाल श्रमिकों की संख्या के मामले में बिहार पूरे देश में तीसरे नंबर पर है. यहां 10 लाख 88 हजार बच्चे बतौर चाईल्ड लेबर काम करते हैं.
गया जिले में 78 हजार बच्चे वैसे हैं जो जोखिम भरी परिस्थितियों में बाल मजदूरी करते हैं. ना केवल बाल मजदूरी बल्कि अन्य तरीकों से भी बच्चे शोषण का शिकार होते हैं.
बच्चों ने मेनिफेस्टो में क्या लिखा है
चाईल्ड ट्रैफिकिंग और चाईल्ड लेबर के खिलाफ काम करने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि ना केवल बिहार बल्कि किसी भी चुनाव में बच्चों से जुड़ा मुद्दा किसी भी पॉलिटिकल पार्टी के घोषणापत्र में जगह नहीं बना पाते. यही वजह है कि उन्होंने बच्चों की तरफ से चुनावी मेनिफेस्टो बनाने पर विचार किया.
बच्चे आगे बिहार आगे नाम के मेनिफेस्टो में बच्चों के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाने की बात लिखी गई है. मौजूदा समय में बिहार के बजट में प्रति बच्चा केवल 3 हजार 727 रुपये का प्रावधान है.
बाकी राज्यों की तुलना में ये काफी कम है. मेनिफेस्टो में पांच से कम उम्र के बच्चों में शिशु मृत्यु दर, बच्चों की साक्षरता और पोषण स्तर को राष्ट्रीय मानक के समकक्ष लाने की बात भी लिखी गई है. इसमें मांग की गई है कि बच्चों के लिए बेहतर नीतियां बनाई जाएं.
बच्चों ने बनाया 16 पेज का मेनिफेस्टो
जानकारी के मुताबिक मेनिफेस्टो 16 पेज का है. इसे बनाने में सहयोग करना वाला 17 साल का एक बच्चा जयपुर से रेस्क्यू किया गया. बच्चों का कहना है कि वे भी पुलिसकर्मी या शिक्षक बनना चाहते हैं लेकिन सरकारी स्कूलों में स्तरीय पढ़ाई नहीं होती.
निजी स्कूल में पढ़ने लायक संसाधन उनके पास नहीं है. इनमें से कई बच्चों को केवल 1 वक्त का खाना मिल पाता है. गरीबी की वजह से ना चाहते हुए भी बाल मजदूरी का रूख करना इनकी मजबूरी है.
Posted By- Suraj Thakur