Delhi Air Pollution नयी दिल्ली : मौसम के करवट लेते ही दिल्ली के तापमान में गिरावट के साथ-साथ हवा में प्रदूषण (Delhi Air Pollution) का स्तर भी बढ़ता जा रहा है. लगातार हवा की गुणवत्ता (Air quality) खराब होते जा रही है. दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के लगातार प्रयासों के बाद भी पराली जलाने (Stubble Burning) की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है. इससे दिल्ली और एनसीआर (Delhi NCR) के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी बढ़ती ही जा रही है. हवा के बदले रुख के कारण पाकिस्तान में जलायी जा रही पराली के धुएं भी दिल्ली की हवा को प्रदूषित कर रहे हैं.
आज शुक्रवार को दिल्ली के कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ दर्ज की गयी. दिल्ली के आनंद विहार में वायु गुणवत्ता सूचकांक 408, बवाना में 447, पटपड़गंज में 404 और वजीरपुर में 411 दर्ज किया गया. जो गंभीर श्रेणी में आता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार सभी ‘गंभीर’ श्रेणी में हैं. वहीं आरके पुरम में वायु गुणवत्ता सूचकांक 376, आईओटी में 384, लोधी रोड में 311 और पंजाब बाग में 387 दर्ज किया गया, जो बेहद खराब श्रेणी में आजा है.
दिल्ली एनसीआर में आज सुबह से ही स्मॉग छाया हुआ है. बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए लोगों को घरों से बाहर निकलते समय मास्क लगाने की सलाह दी गयी है. पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में कोरोनावायरस संक्रमण के मामले भी बढ़े हैं. जानकारों का कहना है कि बढ़ता हुआ प्रदूषण भी इसका एक कारण हो सकता है. प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली सरकार लगातार प्रयास कर रही है.
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प्रदूषण फैलाने वाले संस्थाओं से लगातार जुर्माना भी वसूला जा रहा है. गुरुवार को ही दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि नयी टीमें और समितियां बनाने से ज्यादा जरूरी है जमीनी स्तर पर सख्त कार्रवाई करना. केंद्र सरकार ने ‘पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण’ (ईपीसीए) को भंग कर दिया गया है. इसकी जगह 20 सदस्यीय एक आयोग लेगा.
आयोग के पास वायु (प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण) कानून 1981, और पर्यावरण (संरक्षण) कानून 1986 जैसे मौजूदा कानूनों के तहत निवारण के लिए मामलों का स्वत: संज्ञान लेने, शिकायतों पर सुनवाई, आदेश जारी करने का अधिकार होगा. इसी पर प्रतिक्रिया में गोपाल राय ने उक्त टिप्पणी की है. दिल्ली के ‘पीएम 2.5′ प्रदूषण में पराली जलाये जाने से निकलने वाले हुएं की हिस्सेदारी कल ही बढ़कर 36 प्रतिशत हो गई. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी एजेंसी ‘सफर’ के मुताबिक, पड़ोसी राज्यों में खेतों में पराली जलाये जाने की 2,912 घटनाएं बुधवार को दर्ज की गईं, जो इस मौसम में सर्वाधिक हैं.
Posted by: Amlesh Nandan.