जम्मू-कश्मीर में जमीन की खरीद-बिक्री (jammu Kashmir new land law) को लेकर केंद्र सरकार ने नए नियमों को मंजूरी दी है जिसके बाद से सूबे की राजनीति गरम है. केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी यानी पीडीपी के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया. इसके बाद पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती (mehbooba mufti) सहित कई कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई करते हुए हिरासत में ले लिया.
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए भूमि कानून से जुड़ा एक नोटिफिकेशन जारी किया है. इसके तहत अब कोई भी भारतीय कश्मीर और लद्दाख में जमीन खरीद सकेगा. हालांकि, अभी खेती की जमीन को लेकर रोक जारी रहेगी. अभी तक कश्मीर में जमीन खरीदने के लिए वहां का नागरिक होने की बाध्यता थी. अब यह बाध्यता केंद्र ने खत्म कर दी है. केंद्र ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन के तहत यह आदेश जारी किया है.
गृह मंत्रालय ने अपनी विज्ञप्ति में कहा है कि इस आदेश को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (केंद्रीय कानूनों का अनुकूलन) तीसरा आदेश, 2020 कहा जायेगा. यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत अब कोई भी भारतीय नागरिक जम्मू-कश्मीर में फैक्ट्री, घर या दुकान के लिए जमीन खरीद सकता है. इसके लिए उसे किसी भी तरह के स्थानीय निवासी होने का सबूत देने की जरूरत नहीं होगी. इसके अलावा, सार्वजनिक प्रतिष्ठान बनाने के लिए कृषि भूमि के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी गयी है.
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राजनीतिक दलों ने कहा- केंद्र का फैसला मंजूर नहीं: जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के सात राजनीतिक दलों के गठबंधन गुपकर घोषणा पीपुल्स एलायंस ने भूमि कानूनों में बदलावों की निंदा की है और कहा कि केंद्र का फैसला मंजूर नहीं है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि जम्मू-कश्मीर में भूमि के मालिकाना हक को लेकर कानूनों में किये गये संशोधन अस्वीकार्य हैं. जम्मू-कश्मीर को बिक्री के लिए रख दिया गया है. कम जमीन रखनेवाले गरीब भूस्वामियों को नुकसान उठाना पड़ेगा. वहीं, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह जम्मू-कश्मीर के लोगों को ‘कहीं का न छोड़ने’ के लिए उठाया गया कदम है.
Posted By : Amitabh Kumar