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Navratri 2020: इसबार दुर्गापूजा में न मेला, न रेला, दिख रही सिर्फ श्रद्धा

कोरोना महामारी ने दुर्गोत्सव का उत्साह फीका कर दिया है. किसी ने नहीं सोचा था कि कभी ऐसा भी होगा. नवरात्र की सप्तमी की शाम से ही मां दुर्गा की भक्ति में बजाये जानेवाले गानों के शोर के बीच राजधानी की जिन सड़कों पर हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ती थी, वो सड़कें खाली हैं.

दुष्यन्त तिवारी, रांची : कोरोना महामारी ने दुर्गोत्सव का उत्साह फीका कर दिया है. किसी ने नहीं सोचा था कि कभी ऐसा भी होगा. नवरात्र की सप्तमी की शाम से ही मां दुर्गा की भक्ति में बजाये जानेवाले गानों के शोर के बीच राजधानी की जिन सड़कों पर हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ती थी, वो सड़कें खाली हैं. शहर में जिन प्रमुख जगहों पर लाखों की लागत से भव्य और थीम बेस्ड पंडाल बनते थे, वहां इस बार पूजन विधानों को पूरा करने के लिए छोटे पंडाल बनाये गये हैं.

इस बार न कहीं मेला दिख रहा है, न भक्तों का रेला. हां भक्तों की श्रद्धा में कोई कमी नहीं है. राजधानी का बकरी बाजार, रातू रोड, कोकर, रेलवे स्टेशन, हरमू रोड पंच मंदिर, थड़पखना, बांधगाड़ी, अलबर्ट एक्का चौक, दुर्गा बाटी, ओसीसी कंपाउंड, चर्च रोड और कांटाटोली समेत राजधानी के विभिन्न इलाकों में मां शक्ति की आराधना बड़े ही धूमधाम से की जाती है. कई जगहों पर बने पंडालों के पट तो षष्ठी से ही खुल जाते हैं. इस बार सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार पूजन स्थलों पर सिर्फ पूजा अनुष्ठान हो रहे हैं.

सप्तमी तिथि की ये दोनों ही तस्वीरें बकरी बाजार की हैं. पहली तस्वीर वर्ष 2019 की है. वहीं, दूसरी तस्वीर शुक्रवार शाम की है, जो यह बताती है कि कोरोना ने कितना कुछ बदल दिया है. भारतीय युवक संघ की ओर से दुर्गोत्सव के लिए यहां हर साल 50 से 60 लाख रुपये खर्च कर बनाया जानेवाला भव्य पंडाल, स्थापित की जानेवाली प्रतिमा और यहां लगनेवाले झूले की चर्चा हर कोई करता है.

यह सिलसिला 1958 से चला आ रहा है, लेकिन इस बार यहां न ही भव्य पंडाल है, न मेला है और न ही भीड़-भाड़. प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार यहां दुर्गा मंदिर के समीप एक छोटा पंडाल बना है, जिसमें जाने की इजाजत किसी को नहीं है. सड़क से ही श्रद्धालु माता के आगे सिर झुकाते हुए गुजर रहे हैं. फोटो: राज कौशिक

कोरोना का साइड इफेक्ट, छिना हजारों लोगों का रोजगार : कोरोना संकट की वजह से इस दुर्गोत्सव में पंडाल के आसपास मेला लगाने की अनुमति नहीं है. अमूमन, दुर्गोत्सव के दौरान हर पूजा पंडाल के आसपास लगनेवाले मेले में बड़ी संख्या में खाने-पीने की चीजों, सजावटी सामानों और खिलौनों आदि के स्टॉल लगते हैं. इससे सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता था. लोगों की अच्छी कमाई भी होती थी. इस बार कोरोना ने एेसे सैकड़ों लोगों का रोजगार छीन लिया.

आस्था और श्रद्धा हर ओर : कोरोना की दुश्वारियों के बावजूद नवरात्रि और दुर्गोत्सव का उल्लास लोगों के घरों में दिख रहा है. घर-घर कलश स्थापना की गयी है. मां के भक्त उपवास रख रहे हैं. दोनों पहर भक्ति भाव से मां की आराधना की जा रही है. कोरोना महामारी ने भले ही सड़कों और बाजारों की रौनक छीन ली हो, लेकिन लोगों के मन में मां की भक्ति की ज्योति जल रही है. यही कामना की जा रही है कि मां शक्ति इस विश्वव्यापी महामारी से जल्द से जल्द निजात दिलायें.

Posted by : Pritish Sahay

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