28 अक्तूबर को नवादा के पांच विधानसभा क्षेत्रों के लिए लगभग 17 लाख मतदाता वोट करेंगे. जिले में रजौली, हिसुआ, नवादा, गोविंदपुर और वारिसलीगंज विधानसभा सीटें हैं. इन पांचों सीटों पर भाजपा, कांग्रेस, राजद और जदयू जैसी पार्टियों के प्रत्याशी हैं. हालांकि, छोटे दलों ने भी अपनी मौजूदगी का एहसास कराया है.
मूल रूप से राजनीतिक दांव-पेच में खुद को फिट करने की कोशिश में सभी जुटे हैं. ऐसे में चुनावी मुकाबला तो दिलचस्प होना ही है. साथ ही कई परिणामों के भी उलटफेर होने की संभावना बढ़ी है. कई सीटों पर भीतरघात की आशंका है, जहां गठबंधन के प्रत्याशी सहयोगी दलों को नहीं भा रहे हैं. एक-दो सीटों पर तो बागियों ने अपनी दावेदारी भी पेश कर रखी है.
यह सुरक्षित सीट है, पर राजनीतिक लड़ाई यहां हमेशा दिलचस्प होती है. क्योंकि, यह इलाका झारखंड से जुड़ा है और नक्सलग्रस्त भी है. लिहाजा, यहां की राजनीति पर झारखंड की राजनीतिक आबोहवा व राजनीतिक गतिविधियों का असर समय-समय पर दिखता रहा है. इस बार रजौली में 22 प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला राजद के प्रकाश वीर व भाजपा के कन्हैया कुमार के बीच ही है. मुसीबत यह है कि राजद से बागी बन कर प्रेमा चौधरी चुनाव लड़ रही हैं और भाजपा से बागी होकर अर्जुन राम मैदान में हैं.
27 27 साल तक आदित्य सिंह और पिछले 15 साल से अनिल सिंह यहां के विधायक रहे हैं. इस बार भाजपा से अनिल सिंह और कांग्रेस से आदित्य सिंह की बड़ी बहू नीतू सिंह चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं. यहां भीतरघात की संभावना प्रबल है, जो चुनाव परिणामों को बदल सकते हैं. इससे इतर विकास को मुद्दा बनाये जाने का प्रयास निरंतर जारी है. दोनों ही प्रत्याशियों के बीच चुनाव लड़ने का अपना-अपना अनुभव है. इस विधानसभा क्षेत्र में इस बार सबसे कम आठ प्रत्याशी मैदान में हैं.
कौशल यादव व राजवल्लभ यादव की पुश्तैनी सीट माने जाने वाले नवादा विस क्षेत्र में इस बार लड़ाई त्रिकोणीय दिख रही है. जदयू के कौशल यादव यहां की स्थानीय राजनीति के महारथी माने जाते रहे हैं. राजद के राजवल्लभ यादव भी किसी नजरिये से कमतर नहीं हैं. इन्होंने अपनी पत्नी विभा देवी को मैदान में उतारा है. इन सबके बावजूद 2019 के उपचुनाव में दूसरे स्थान पर रहे निर्दलीय प्रत्याशी श्रवण ने इस बार के चुनाव को त्रिकोणीय रूप दे दिया है. नवादा में इस बार 15 प्रत्याशी मैदान में हैं.
गोविंदपुर से राजद ने मो कामरान को चुनावी मैदान में उतारा है. जदयू के टिकट पर कांग्रेस की निवर्तमान विधायक पूर्णिमा यादव मैदान में हैं. पूर्णिमा यादव के लिए यह सीट पुश्तैनी बतायी जाती है. इनके अतिरिक्त भाजपा से बगावत कर रंजीत यादव लोजपा के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि, गोविंदपुर की लड़ाई आमने-सामने की है, जो पूर्णिमा व कामरान की बीच ही तय है. यहां किसी तीसरे समीकरण की संभावना नहीं दिख रही है. हालांकि, यहां बड़े वोट बैंकों के सामने असमंजस की स्थिति है.
Posted by Ashish Jha