रांची : राजधानी में लॉज व हॉस्टल संचालकों की मनमानी चरम पर पहुंच गयी है. मनमानी का अालम यह है कि संचालक छात्रों से कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन पीरियड का भी पूरा किराया मांग रहे हैं. संचालक यह तर्क दे रहे हैं कि हमने छात्र को किराया पर कमरा दिया था. अब छात्र यहां रहे या न रहे. उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. हमने रूम दिया, तो हमें किराया चाहिए.
कुछ कुछ ऐसी ही परेशानियों का सामना इन दिनों राजधानी के दो लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को करना पड़ा रहा है. कारण अचानक हुए लॉकडाउन के बाद अधिकतर छात्र-छात्रा अपने-अपने घर चले गये थे. अब स्थिति कुछ-कुछ सामान्य हो रही है. कॉलेज खुलने लगे हैं, प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन हो रहा है. इस कारण घर गये स्टूडेंट्स वापस राजधानी लौट रहे हैं.
लेकिन रांची आने पर मकान मालिक, लॉज ऑनर व हॉस्टल संचालक स्टूडेंट्स से एक साथ लॉकडाउन पीरियड का छह माह का किराया मांग रहे हैं. जब स्टूडेंट्स कहते हैं कि छह माह से तो यहां रहे ही नहीं हैं. इस पर हॉस्टल संचालकों का कहना है कि किराया तो देना ही पड़ेगा, क्योंकि सामान हमारे यहां पड़ा हुआ है. अगर तुम यहां नहीं रहना चाहते हो तो पुराना बकाया सारा क्लियर करो और सामान लेकर चले जाओ. बिना किराया दिये हम सामान भी नहीं ले जाने देंगे.
केस- 1 : नगड़ा टोली के कृष्णा लॉज में देवघर से आयी दो बहनें रहती थीं. लॉकडाउन के बाद मार्च में ही दोनाें देवघर चली गयी थीं. रविवार को अपने परिजनों संग रांची लौटीं, तो लॉज संचालक ने एकमुश्त छह माह का किराया मांगा. परिजनों ने कहा कि लॉकडाउन में तो दोनों बहनें यहां नहीं रही हैं. इस पर संचालक ने कहा कि किराया तो पूरा ही लेंगे, क्योंकि हमने रूम दिया हुआ है.
केस-2: पीस रोड के क्रांति लाॅज में तीन दोस्तों के साथ धनबाद का सौरभ रहता है. लॉकडाउन में तीनों अपने घर चले गये. रविवार को जब सौरभ लौटा, तो उसे मकान मालिक ने कहा कि पहले छह माह का किराया एकमुश्त दो, तभी रूम का ताला खोलने देंगे. इस पर सौरव ने अपने दोस्तों से पैसा उधार लेकर मकान मालिक को दिया. तब मकान मालिक ने कमरे का ताला खोलने दिया.
कोरोना काल में छात्रों से एकमुश्त किराया वसूलना उचित नहीं है. इस मामले में लॉज संचालक को भी सोचने की जरूरत है कि छात्र उन्हीं के यहां रह कर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, आगे भी करेंगे. इसलिए लॉकडाउन पीरियड का कुछ रियायत देना चाहिए. इस मामले को लेकर सरकार से भी आग्रह किया गया था, लेकिन सरकार से दिशा-निर्देश नहीं जारी हुआ.
रांची शहर में लॉजों की अनुमानित संख्या पांच हजार से अधिक है. इन लॉज में अधिकतर मध्यम व निम्नवर्गीय परिवार के बच्चे रहते हैं. लॉज संचालकों द्वारा लॉकडाउन पीरियड का किराया मांगे जाने से बच्चों परेशान हैं.
posted by : sameer oraon