राजनीति खुद ही अपने आप में एक राजनीति है. जो किसी अबूझ पहली से कम नहीं है. बिहार चुनाव 2020 में भी मुंगेर में बड़ा-बड़ा खेल हो रहा है. यूं तो मुंगेर के तीनों विधानसभा सीट से बागी उम्मीदवारों की भीड़ लगी हुई है. लेकिन मुंगेर विधानसभा सीट से जो प्रबल दावेदार नेता टिकट से वंचित रह गये. उनकी डिमांड विपक्षी उम्मीदवारों में बढ़ गयी है.
एक पार्टी के चार पांच नेता टिकट की रेस में थे. 14-15 दिनों तक पटना में कैंप करने के बाद जब उनका टिकट कटा तो मायूसी के साथ घर लौट आये. उनको लगा कि इस बिहार चुनाव 2020 में उनका कोई काम नहीं है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ बल्कि जो नेता दल से हट कर बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में हैं. उनके सामने टिकट से वंचित नेताओं की पूछ काफी बढ़ गयी.
इतना ही नहीं बल्कि बागी उम्मीदवार भी वैसे नेताओं से संपर्क कर उनके समर्थन में आने वाले मतदाताओं को अपना पक्ष में करने का प्रयास तेज कर दिया है. टिकट से वंचित नेताओं के पास गठबंधन के उदास नेताओं की बैठकी भी हो रही है.एक प्रमुख दल के जिला संगठन के आधे से अधिक पदाधिकारी एवं नेता अपने ही प्रत्याशी को हराने में लगे हुए हैं. जो एक पार्टी के नेता एवं एक निर्दलीय प्रत्याशी के पक्ष में टिकट से वंचित नेताओं को गोलबंद करने में जुटे हुए हैं.
Also Read: जदयू सांसद के भतीजे ने खुद को गोली मार की आत्महत्या, मामले की छानबीन में जुटी पुलिस
एक दल के प्रमुख पदाधिकारी की बात करे तो वह भी अपने गठबंधन के उम्मीदवार को हराना चाहती हैं. क्योंकि वे भी टिकट के रेस में शामिल हैं. उस नेता को लग रहा है कि अगर इस वार उम्मीदवार हारेगा तभी तो मुझे और मेरे दल को मौका मिलेगा. टिकट से वंचित नेताजी भी हराने में लगे है. ताकि जब प्रत्याशी हारेगा तो उनकी पूछ ओर कद पार्टी में बढ़ेगा. कुल मिलाकर कहा जाये तो इस बार के विधानसभा चुनाव में प्रमुख दलों के प्रत्याशियों को भीतरघात का सामना करना पड़ेगा.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya