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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, पति के साथ-साथ सास-ससुर के घर में भी बहू को रहने का अधिकार

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बहू के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत का हवाला देते हुए कहा कि बहू को अपने पति के माता-पिता के घर में रहने का अधिकार है.

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बहू के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत का हवाला देते हुए कहा कि बहू को अपने पति के माता-पिता के घर में रहने का अधिकार है.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन न्यायमूर्तियों की पीठ ने गुरुवार को तरुण बत्रा के मामले में दो न्यायाधीशों के फैसले को पलट दिया और अब नया फैसला सुनाया है.

मालूम हो कि इससे पहले तरुण बत्रा मामले में दो जजों की बेंच ने कहा था कि कानून में बहू अपने पति के माता-पिता के स्वामित्ववाली संपत्ति में नहीं रह सकती है. सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने इस फैसले को पलट दिया है.

जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षतावाली पीठ ने तरुण बत्रा मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि पति की अलग-अलग संपत्ति में ही नहीं, बल्कि उनके माता-पिता के साझा घर में भी बहू का अधिकार है.

पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए दो सदस्यीय पीठ के फैसले को पलटते हुए 6-7 सवालों के जवाब भी दिये. पीठ ने यह फैसला साल 2006 के एसआर बत्रा और अन्य बनाम तरुण बत्रा के मामले की सुनवाई करते हुए सुनाया.

मालूम हो कि पहले दो सदस्यीय पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि एक पत्नी के पास केवल अपने पति की संपत्ति पर अधिकार होता है. तरुण बत्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता निधि गुप्ता ने ने दलील पेश की.

उन्होंने कहा कि अगर बहू संयुक्त परिवार की संपत्ति है, तो मामले की समग्रता को देखने की जरूरत है. साथ ही उसे घर में निवास करने का अधिकार है. इसके बाद अदालत ने दलील को स्वीकार कर लिया.

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