रांची : सरना धर्म कोड की मांग को लेकर केंद्रीय सरना समिति (फूलचंद तिर्की गुट) व अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद (सत्यनारायण लकड़ा गुट) का राज्यव्यापी चक्का जाम 15 अक्तूबर यानी गुरुवार को है. इसको लेकर बुधवार की शाम अलबर्ट एक्का चौक पर मशाल जुलूस निकाला गया.
इस मौके पर केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि 15 अक्तूबर को पूरे झारखंड में चक्का जाम रहेगा. सरना कोड को लेकर आदिवासी विभिन्न जिलों में चक्का जाम करेंगे. संवैधानिक मांगों को लेकर अपनी आवाज बुलंद करेंगे. उन्होंने बताया कि विभिन्न सा[माजिक संगठन के लोग भी चक्का जाम के समर्थन में सड़कों पर उतरेंगे़.
आवश्यक सेवाओं प्रेस, दूध, एंबुलेंस, स्कूल बस आदि को चक्का जाम से मुक्त रखा गया है. अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के महासचिव सत्यनारायण लकड़ा ने कहा कि मॉनसून सत्र में सरकार द्वारा सरना धर्म कोड का बिल पारित नहीं करना राजनीतिक षड्यंत्र है.
यदि सरकार चाहती तो विशेष सत्र बुलाकर बिल पारित कर सकती है. केंद्रीय सरना समिति के महासचिव संजय तिर्की ने कहा कि पांच राज्य झारखंड, ओड़िशा, बंगाल, बिहार व असम में सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आंदोलन होगा. मशाल जुलूस में समिति के संरक्षक भुनेश्वर लोहरा, महिला शाखा अध्यक्ष नीरा टोप्पो, सूरज तिग्गा, सुखवारो उरांव, ज्योत्सना भगत, किशन लोहरा, नमित हेमरोम, प्रदीप लकड़ा, बाना मुंडा व अन्य शामिल थे.
आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा है कि सरना धर्म कोड के लिए झारखंड सहित पांच प्रदेशों में 15 अक्तूबर को रोड जाम या रोड मार्च होगा. इसमें सभी सरना समर्थक आदिवासियों व संगठनों से सहयोग अपेक्षित है. यदि केंद्र सरकार और शिड्यूल एरिया वाले दस राज्यों की सरकारें सरना धर्म कोड की मान्यता के लिए नवंबर मे पहल पूरा नहीं करतीं, तो छह दिसंबर को राष्ट्रव्यापी रेल व रोड जाम किया जायेगा.
उन्होंने कहा कि झामुमो द्वारा सरना धर्म कोड का बिल विधानसभा के मॉनसून सत्र में प्रस्तुत करने का वादा करने के बावजूद ऐसा नहीं करना आदिवासियों के साथ बड़ी धोखेबाजी है. झामुमो वोट बैंक के लिए सिर्फ ईसाई और मुसलमानों का तुष्टीकरण करता है़ झामुमो की वादाखिलाफी और नाकामियों के खिलाफ 15 अक्तूबर को इन पांच प्रदेशों में झारखंड सरकार का पुतला फूंका जायेगा. वहीं ओल चिकी लिपी विरोधी झामुमो सांसद विजय हंसदा और दो झामुमो विधायक नलिन सोरेन व विलियम मरांडी का पुतला दहन भी होगा.
रांची. आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि आदिवासियों के लिए जमीन और धर्म दो महत्वपूर्ण मुद्दे हैं. इनके बिना आदिवासी समाज का अस्तित्व मिट जायेगा. इसकी रक्षा जरूरी है. वे बुधवार को करमटोली स्थित जन परिषद के कार्यालय में आयोजित बैठक में बोल रहे थे.
मौके पर राज्य सरकार से मांग की गयी कि आदिवासी धर्म कोड के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर राजकीय संकल्प पारित कर केंद्र को भेजा जाये. निर्णय लिया गया िक 20 अक्तूबर को आयोजित रैली व प्रदर्शन का समर्थन किया जायेगा. राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासियों के लिए धर्म कोड लागू करने की मांग को लेकर राज्यपाल को स्मार पत्र सौंपा जायेगा.
आदिवासी धर्म कोड के लिए अभियान को तेज करने के लिए सभी जिलों, प्रखंडों और देश के विभिन्न प्रदेशों का दौरा किया जायेगा. 17 अक्तूबर को तमाड़ प्रखंड के दिवड़ी जादुरखड़ा में पांच परगना क्षेत्र के लिए जागरूकता सम्मेलन किया जायेगा.
18 अक्तूबर को धर्म कोड के लिए राष्ट्रीय आदिवासी मुंडा महासभा की बैठक खूंटी में होगी. जन परिषद द्वारा आदिवासी धर्म-संस्कृति और युवाओं के लिए रोजगार के लिए जागरूकता अभियान चलाया जायेगा. बैठक में अभय भुट कुंवर, शांति सवैया, शत्रुघ्न बेदिया, सिकंदर मुंडा, सोमदेव करमाली, श्रवण लोहरा, नागेश्वर लोहरा, संजीव वर्मा, सेलिना लकड़ा, रामप्रसाद नायक, प्रेमा तिर्की, सिनी होनहंगा आदि थे.
posted by : sameer oraon