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अमिताभ बच्चन की आवाज में महात्मा बुद्ध का जीवन वृत्तांत सुनेंगे सारनाथ में पर्यटक

सारनाथ आने वाले पर्यटक अब अमिताभ बच्चन की आवाज में महात्मा बुद्ध का जीवन वृत्तांत के साथ ही उपदेश सुन सकेंगें. सारनाथ स्थित पुरातात्विक परिसर में ध्वनि-दृश्य (लाइट एंड साउंड) कार्यक्रम में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की आवाज देने की तैयारी चल रही है. आयुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि आवाज की रिकार्डिंग 20 से 24 अक्टूबर तक पूरी हो जाएगी.

सारनाथ आने वाले पर्यटक अब अमिताभ बच्चन की आवाज में महात्मा बुद्ध का जीवन वृत्तांत के साथ ही उपदेश सुन सकेंगें। सारनाथ स्थित पुरातात्विक परिसर में ध्वनि-दृश्य (लाइट एंड साउंड) कार्यक्रम में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की आवाज देने की तैयारी चल रही है. आयुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि आवाज की रिकार्डिंग 20 से 24 अक्टूबर तक पूरी हो जाएगी.

रिकार्डिंग पूरी होते ही लाइट एंड साउंड कार्यक्रम पर्यटकों के लिए शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि सारनाथ आने वाले पर्यटकों को अमिताभ बच्चन के आवाज में महात्मा बुद्ध के उपदेश और उनके जीवन वृत्तांत को सुनने को मिल सकेगा. पर्यटक विभाग के अनुसार लाइट एंड साउंड कार्यक्रम 45 मिनट का होगा जो दो भाषाओं अंग्रेजी और हिंदी में प्रस्तुत किया जाएगा. पर्यटन विभाग के देखरेख में लोक निर्माण विभाग (पी डब्लू डी) 2016 से लाइट एंड साउंड प्रणाली के निर्माण में लगा हुआ है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस परियोजना को सितंबर में ही अमलीजामा पहनाने का निर्देश विभाग को दिया था, लेकिन कोविड-19 महामारी की वजह से यह शुरू नहीं किया जा सका। हालांकि, अब इसे अक्टूबर के अंत तक शुरू करने की उम्मीद है.

जानिए सारनाथ के बारे में

उत्तर प्रदेश के काशी (वाराणसी) से उत्तर की ओर सारनाथ का प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान है. काशी से सारनाथ की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है. सारनाथ का इतिहास और Sarnath का महत्व बौद्ध ग्रंथों के अनुसार यहां भगवान बुद्ध ने बौद्ध गया (बिहार) मे ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना पहला अज्ञात कौन्डिन्य आदि पूर्व परिचित पांचों साथियों को दिया था.

सारनाथ का अर्थ

सारनाथ का ओल्ड नाम ( Sarnath का प्राचीन नाम) ऋषि पतन तथा मृगदाव था. ऋषि पतन का अर्थ फाह्यान (चीनी यात्री) ने ऋषि का पतन बतलाया है, जिसका आशय है कि वह स्थान जहाँ किसी बुद्ध ने गौतमबुद्ध की भावी संबोधि को जानकर निर्वाण प्राप्त किया था. दूसरे नाम मृगदाव के पडने का कारण निग्रोध-मृग जातक में इस प्रकार दिया गया है कि-…..

किसी पूर्व जन्म में गौतमबुद्ध तथा उनके भाई देवदत्त sarnath के जंगलों में मृगो के कुल में जन्मे थे. और मृग समुदाय के राजा थे. उस समय काशी नरेश इस वन में मृगो का नियमित रूप से शिकार किया करते थे. राजा के इस नृशंस कार्य से द्रवित हो मृगो के राजा बोधिसत्व ने उनसे प्रार्थना की कि वे मृग हत्या बंद कर दे, और प्रतिदिन एक हिरण क्रम से उनके पास पहुंच जाया करेगा.

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