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बिहार चुनाव 2020: करवट लेती दिख रही सिकंदरा की राजनीति, कार्यकर्ताओं के बगावती तेवरों ने सभी दलों का बिगाड़ा गणित

सभी प्रमुख दलों द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम की घोषणा किये जाने के साथ ही सिकंदरा की राजनीति में अचानक से उबाल आ गया है. उम्मीदवारों के नाम की घोषणा होते ही कोई एक नहीं बल्कि हर दल के कार्यकर्ताओं के साथ ही आम जनता भी स्तब्ध और खुद को ठगा महसूस कर रही है. विदित हो कि महागठबंधन के घटक दल कांग्रेस व राजद के कार्यकर्ताओं द्वारा पहले से ही निवर्तमान विधायक बंटी चौधरी का विरोध जताते हुए प्रदेश नेतृत्व से उम्मीदवार बदलने की मांग की जा रही थी.

जमुई: सभी प्रमुख दलों द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम की घोषणा किये जाने के साथ ही सिकंदरा की राजनीति में अचानक से उबाल आ गया है. उम्मीदवारों के नाम की घोषणा होते ही कोई एक नहीं बल्कि हर दल के कार्यकर्ताओं के साथ ही आम जनता भी स्तब्ध और खुद को ठगा महसूस कर रही है. विदित हो कि महागठबंधन के घटक दल कांग्रेस व राजद के कार्यकर्ताओं द्वारा पहले से ही निवर्तमान विधायक बंटी चौधरी का विरोध जताते हुए प्रदेश नेतृत्व से उम्मीदवार बदलने की मांग की जा रही थी.

महागठबंधन के नाराज कार्यकर्ता बना रहे निर्दलीय उम्मीदवार उतारने की रणनीति 

राजद व कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच निवर्तमान विधायक बंटी चौधरी को टिकट मिलने की स्थिति में निर्दलीय उम्मीदवार उतारने की रणनीति भी बनायी जा रही है. इसके पूर्व अल्पसंख्यक समाज की एक बड़ी बैठक में भी निवर्तमान विधायक का विरोध करने का निर्णय लिया जा चुका है.

एनडीए में हम के खाते में सीट जाने व अजनबी चेहरे को प्रत्याशी बनाने से आक्रोश

वहीं सोमवार की देर रात एनडीए में हम के खाते में सीट जाने और एक अजनबी चेहरे प्रफुल्ल मांझी को उम्मीदवार बनाये जाने की घोषणा होते ही बवाल मच गया है. उम्मीदवार के नाम की घोषणा के बाद एनडीए के घटक दल भाजपा और जद यू के कार्यकर्ताओं में काफी आक्रोश देखा जा रहा है.

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पूर्व मंत्री जद यू के प्रदेश संगठन सचिव हो सकते हैं बागी 

इस बीच पूर्व मंत्री और सिकंदरा का 7 बार प्रतिनिधित्व कर चुके जद यू नेता रामेश्वर पासवान और युवा जद यू के प्रदेश संगठन सचिव सह पूर्व प्रखंड प्रमुख सिंधु पासवान ने बागी रुख अख्तियार करते हुए चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी शुरू कर दी है.

लोजपा के अंदर भी भूचाल

वहीं मंगलवार को लोजपा द्वारा दलित सेना के जिलाध्यक्ष रविशंकर पासवान को उम्मीदवार बनाये जाने की घोषणा के साथ ही पार्टी के अंदर भूचाल आ गया है. रविशंकर पासवान को पार्टी का सिंबल मिलते ही 2010 व 2015 के पिछले दो चुनावों में मामूली वोटों से मात खाये पूर्व लोजपा जिलाध्यक्ष सुभाष पासवान ने बगावती तेवर अपनाते हुए सिकंदरा विधानसभा से चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है.

फेसबुक पर डाला गया एक भावनात्मक पोस्ट, बताया- परिश्रम के साथ धोखा

उन्होंने फेसबुक पर एक भावनात्मक पोस्ट डाल कर लोजपा पर टिकट बेचने का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी ने मेरे साथ विश्वासघात और मेरे परिश्रम के साथ धोखा किया है. फेसबुक पोस्ट में उन्होंने लिखा कि मैं शुरुआत से ही लोजपा के साथ ईमानदारी से खड़ा रहा, पौधे की तरह सींच कर पार्टी को वृक्ष का आकार दिया. आज उस ईमानदारी का इनाम मुझे पार्टी ने मेरा टिकट काट कर दिया है. इसी के साथ ही उन्होंने 7 अक्टूबर को नामांकन की भी घोषणा कर दी है. ऐसे में अब सिकंदरा विधानसभा में लोजपा में भी दो फांड़ होना तय हो गया है.

दिलचस्प मोड़ की ओर बढ़ता दिख रहा सिकन्दरा का चुनाव

इस बीच सिकंदरा में स्थानीय सर्वदलीय उम्मीदवार उतार कर सभी राजनीतिक दलों को आइना दिखाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. ऐसे में इस बार सिकन्दरा का चुनाव दिलचस्प मोड़ की ओर बढ़ता दिख रहा है.

Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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