झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने असिस्टेंट इंजीनियर नियुक्ति में आर्थिक रूप से गरीब (सवर्णों) अभ्यर्थियों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई की.
अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य सरकार व झारखंड लोक सेवा आयोग का पक्ष सुना. सुनवाई अधूरी रही. सरकार के जवाब पर विस्तृत सुनवाई के लिए अदालत ने 21 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की.
इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि रिक्त पद 2018 का है और गरीब सवर्णों को आरक्षण देने का नियम वर्ष 2019 में बना है. इसलिए आरक्षण की सुविधा नहीं दी जानी चाहिए. वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि यह सरकार का नीतिगत निर्णय है.
सरकार का निर्णय सही है. आयोग की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने अदालत को बताया कि आरक्षण देने का फैसला सरकार का है. वह सरकार द्वारा दी गयी अधियाचना के अनुसार नियुक्ति की प्रक्रिया कर रहा है.
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी रंजीत कुमार साह ने याचिका दायर की है. उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को असिस्टेंट इंजीनियर के लिए निकाले गये विज्ञापन में 10 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने को चुनौती दी है.
posted by : sameer oraon