गारू (लातेहार) : कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से घोषित लॉकडाउन के दौरान बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन ही चल रही हैं. झारखंड के कई गांव और प्रखंड ऐसे हैं, जहां अब भी मोबाइल फोन का नेटवर्क ठीक से काम नहीं करता. ऐसे में ऑनलाइन क्लास करना बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी एक दुरूह कार्य साबित हो रहा है.
उग्रवाद प्रभावित जिला लातेहार में यह समस्या इतनी बड़ी है कि टीचर और स्टूडेंट्स को घाटी तक जाना पड़ता है. जिला के 8 प्रखंड में से 6 में सिर्फ भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की सेवा है. इसका नेटवर्क कभी ठीक नहीं रहता. लातेहार और गारू प्रखंड के सीमा क्षेत्र सरयू-औरेया घाटी में जाने पर दूसरी कंपनी के नेटवर्क की मदद से ये लोग यहां पर पठन-पाठन का काम करते हैं. खुले आसमान के नीचे.
प्रखंड के अधिकांश सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थी ऑनलाइन शिक्षा से वंचित हैं. इससे छात्रों का भविष्य अधर में है. गारू जैसे पिछड़े और संसाधनविहीन प्रखंड में नेटवर्क के अभाव में विद्यार्थियों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. घासीटोला और चोरहा लातेहार जिला की दो ऐसी पंचायतें हैं, जहां आज भी दूरसंचार सेवा नहीं पहुंची.
इन दोनों पंचायतों के छात्रों को लातेहार और गारू प्रखंड की सीमा क्षेत्र पर स्थित सरयू-औरेया घाटी में आकर अन्य कंपनी के नेटवर्क से ऑनलाइन पढ़ाई करनी पड़ रही है. पढ़ाई के इस जुगाड़ तंत्र का लाभ हर दिन नहीं लिया जाता. हर दिन इतने दूर आकर पढ़ना या पढ़ाना संभव नहीं है.
सरयू, डबरी और घासीटोला के छात्रों ने बताया कि सरयू के आस-पास के क्षेत्र में नेटवर्क नहीं होने के कारण उन्हें 8-10 किलोमीटर दूर सरयू-औरेया घाटी में जाना पड़ता है. कई अभिभावकों का कहना है कि प्रखंड के सरयू, रोल, पतरातू, कबरी, रूद, सोनवार, गोताग, पीरी, मुकुंदपुर, डबरी, सालवे, कार्रवाई, चिपरू, लाई, चोरहा, कोटाम, मायापुर व बारेसाढ़ के दर्जनों सरकारी स्कूल के विद्यार्थी ऑनलाइन शिक्षा से वंचित हैं.
सरयू विद्यालय के शिक्षक चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि सरयू में 2G नेटवर्क रहता है. इससे छात्रों को पढ़ाने में काफी परेशानी होती है. ग्रामीणों ने उपायुक्त जिशान कमर से नेटवर्क बहाल करने की दिशा में पहल करने का अनुरोध किया है.
Posted By : Mithilesh Jha