अररिया : सिकटी प्रखंड क्षेत्र में बाढ़ से हुई भीषण तबाही व बर्बादी से लोग उबर भी नहीं पाए की नूना व बकरा नदी में हो रहे कटाव से लोग त्रस्त हो रहे हैं. लोग क्या करें कहां जाए कुछ समझ में नहीं आ रहा है.
जैसे-जैसे नदियों के जल स्तर में कमी होती जा रही है वैसे-वैसे इन नदियों कटाव भीषण रूप अख्तियार कर रहा है. लेकिन अब भी इससे राहत के लिए सरकारी स्तर पर कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. जिससे नदियों के किनारे वाले गांव का अस्तित्व नदियों में विलीन होता जा रहा है.
पूर्वी भाग में बहने वाली नदी नूना के धारा बदल लेने से पूर्वी भाग का स्वरूप बदल गया है. फसलों की बर्बादी के साथ ही पश्चिमी भाग का पूर्वी से संपर्क भाग हो गया है. प्रखंड मुख्यालय पहुंचने के लिए नाव ही एक सहारा है या वैकल्पिक मार्ग बिलायती बाड़ी से कालियागंज झाला के रास्ते सोनापुर होकर काफी कठिनाइ उठाते हुए प्रखंड मुख्यालय आना पड़ता है.
जबकि पश्चिमी भाग में बहती बकरा नदी की धारा तकरीबन एक दर्जन गांवों के निकट भयंकर कटाव कर रहा है. जिसमें डेनिया खुटहरा के बाद तीरा व पड़रिया बैरगाछी व करहबाड़ी प्रमुख जगह है जहां नदी के कटाव का रूप काफी वीभत्स है.
पड़रिया गांव के ग्रामीण अजीत मंडल, मनोज मंडल, संजीव मंडल, जागेश्वर मंडल, सूदन मंडल, अरुण मंडल, प्रकाश मंडल, कुंदन मंडल सहित दर्जनों ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया कि गत 2019 में आयी बाढ़ में पड़रिया घाट में नवनिर्मित पुल के पश्चिमी भाग से नदी की धार बदलने के कारण इस बारसात में आयी बाढ़ में हमलोगों की स्थिति काफी दयनीय हो गया है.
पहले प्राथमिक विद्यालय पड़रिया तीरा परिसर में हो रहे कटाव के लिए प्रशासन द्वारा कटाव निरोधक कार्य किया गया. परंतु यह नाकाफी था. इसी के दुषरिणाम विद्यालय से सटे दक्षिण टोला पररिया गांव में भयानक रूप से कटाव हो रहा है.
जिससे इस गांव के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. पहले खेती में लगी धान की फसल बाढ़ में बर्बाद हुआ. इससे उबरे भी नहीं कि गांव से नदी की दूरी सिर्फ 12 से 15 फीट बचा हुआ है. अगर जल्द ही कोई उपाय नहीं किया गया तो दर्जनों परिवार विस्थापित हो जाएंगे.
Posted by Ashish Jha