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Bihar Election 2020 : चकाई विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ चुनावी मुद्दा बनकर रह गया बरनार जलाशय योजना

Barnar reservoir scheme : विधायक और सांसद सहित तमाम पार्टी के स्थानीय नेता डैम के निर्माण को शुरू कराने के लिए प्रयास करने का दावा करते हैं.

विनय कुमार मिश्र, सोनो : विधायक और सांसद सहित तमाम पार्टी के स्थानीय नेता डैम के निर्माण को शुरू कराने के लिए प्रयास करने का दावा करते हैं. जिसमें विधान सभा में कई बार आवाज उठाने, केंद्रीय कार्यालय तक पहुंचकर निर्माण कार्य प्रारंभ का रास्ता साफ करने की दावा किया गया.

बताते चलें कि बीते वर्ष तक भी सांसद से लेकर अन्य जनप्रतिनिधियों ने जलाशय निर्माण स्थल का निरीक्षण करने पहुंचते रहे. कुछ वर्ष पूर्व एक तत्कालीन केंद्रीय मंत्री ने प्रखंड स्थित पैरामटिहाना में हुए कार्यक्रम में भी जनता को आश्वस्त किया गया था. लेकिन अबतक कोई निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है. इन सबके बावजूद भी नतीजा कुछ नहीं आया. आज भी डैम का निर्माण स्थल अपने दुर्भाग्य के साथ पूर्ववत खड़ी है. निर्माण स्थल तक जाने के लिए बनी पक्की सड़कें टूट गई.

कार्यालय व कर्मियों के लिए बने आवास खंडहर में तब्दील हो गए हैं, मशीनों में जंग लग गई. निर्माण में लिए प्रयुक्त होने वाले सरिया व अन्य सामग्रियां चोरी हो गई. इसे लेकर आंदोलन करने वाले किसानों के बाल सफेद हो गए और कमजोर हो गई नजर के कारण आंदोलन की धार भी कुंद हो गई. अब देखना है बिहार विधान सभा 2020 में कौन इस मुद्दा के नौका पर बैठकर चुनावी वैतरणी पार करते हैं.

बरनार जलाशय बनने पर चार प्रखंड क्षेत्र होंगे लाभान्वित : बरनार जलाशय योजना जमुई जिला के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. जिला के चार प्रखंड इससे लाभान्वित होंगे. निःसंदेह इसके निर्माण होने पर क्षेत्र का विकास तेजी से होगा. खासकर किसानों के दिन बहुरेंगे. सिंचाई के लिए जल के अभाव का सामना कर रहे किसान डैम के जल से मनचाही फसल हर वक्त उपजा सकेंगे. डैम के निर्माण से सोनो प्रखंड के अलावे खैरा, झाझा व गिद्धौर प्रखंडों में सिंचाई क्षमता का सृजन होगा.

डैम के निर्माण की शुरुआत में ही जल के वितरण को लेकर बांया व दायां दो मुख्य नहर पर कार्य प्रारंभ किया गया था. दोनों मुख्य नहरों से कई शाखा वितरणी के रूप में बनाने की प्रक्रिया शुरू की गयी थी. जलाशय से रूपांकित सिंचन क्षमता खरीफ के लिए 19433 हेक्टेयर व रब्बी फसल के लिए 3239 हेक्टेयर है. जानकर मानते है कि इस जलाशय के बनने पर लगभग 56 हजार एकड़ भूमि लहलहा उठेगी.

समय के साथ संरचना व नहरों की स्थिति हो गई है जर्जर : बरनार जलाशय योजना के लिए उस वक्त 1754.50 लाख रुपये नहर प्रणाली में खर्च किया गया था. नहरों की खुदायी, संरचना का निर्माण, आवासीय भवन, कार्यालय भवन, निरीक्षण भवन, सोनो कोजवे, भूअर्जन आदि कार्य किया गया. प्रस्तावित नहरों में 252 संरचनाओ का निर्माण होना था जिसमे 11 अदद संरचनाओ का निर्माण हो पाया था. हालांकि यह 11 पूर्ण संरचना भी अच्छी हालत में नहीं है. कई संरचना आधा अधूरा भी है जो अब जर्जर हो गया है.

डैम के दोनों मुख्य नहर की अधिकांश लंबाई में कार्य बंद होने से पूर्व तक आंशिक रूप से मिट्टी का कार्य किया गया. धोबघट शाखा नहर में भी आंशिक खुदायी की गयी थी. दोनों मुख्य नहर व धोबघट शाखा नहर में कुछ संरचना पर कहीं पूर्ण तो कहीं अधूरा कार्य किया गया था. बरनार जलाशय योजना पर पैनी नजर रखने वाले व इसके निर्माण शुरू करने के लिए दशकों से संघर्षरत किसान नेता हलधर कपिलदेव सिंह का मानना है कि समय के साथ ये संरचनाए जर्जर हो गए हैं साथ ही नहर की खुदायी पर भी समय का मार पड़ी व नहर की गहराई में मिट्टी भर गया है.

Posted by Ashish Jha

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