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Chanakya Niti: इन बातों को अपनाकर सीख जाएंगे दुनिया को जी‍तने की कला, जानें क्या कहते है आचार्य चाणक्य…

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में व्यक्ति को सफल बनाने की बातों का जिक्र किया है. आचार्य चाणक्य एक महान शिक्षाविद और कुशल अर्थशास्त्री भी थे. चाणक्य की नीतियां लोगों को जीवन में सही रास्ता दिखा रही हैं. नीति शास्त्र में चाणक्य ने धन, तरक्की, वैवाहिक जीवन, मित्रता और दुश्मनी संबंधी समस्याओं का उपाय बताया है.

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में व्यक्ति को सफल बनाने की बातों का जिक्र किया है. आचार्य चाणक्य एक महान शिक्षाविद और कुशल अर्थशास्त्री भी थे. चाणक्य की नीतियां लोगों को जीवन में सही रास्ता दिखा रही हैं. नीति शास्त्र में चाणक्य ने धन, तरक्की, वैवाहिक जीवन, मित्रता और दुश्मनी संबंधी समस्याओं का उपाय बताया है. चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति को जीवन में सफल होना है तो उसे नीति शास्त्र को जीवन में अपना लेना चाहिए. चाणक्य ने नीति शास्त्र में बताया है कि व्यक्ति में कौन-से ऐसे दो गुण होने चाहिए, जो दुश्मनों को भी मित्र बना देता है. आइए जानते है चाणक्य मंत्र जिससे जित सकते है आप पूरी दुनिया…

मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता.

ब्राह्मणों का बल विद्या है, राजाओं का बल उनकी सेना है, वैश्यों का बल उनका धन है और शूद्रों का बल दूसरों की सेवा करना है. ब्राह्मणों का कर्तव्य है कि वे विद्या ग्रहण करें. राजा का कर्तव्य है कि वे सैनिकों द्वारा अपने बल को बढ़ाते रहें. वैश्यों का कर्तव्य है कि वे व्यापार द्वारा धन बढ़ाएं, शूद्रों का कर्तव्य श्रेष्ठ लोगों की सेवा करना है.

– जिस व्यक्ति का पुत्र उसके नियंत्रण में रहता है, जिसकी पत्नी आज्ञा के अनुसार आचरण करती है और जो व्यक्ति अपने कमाए धन से पूरी तरह संतुष्ट रहता है. ऐसे मनुष्य के लिए यह संसार ही स्वर्ग के समान है.

– संसार एक कड़वा वृक्ष है, जिसके दो फल ही मीठे होते हैं. एक मधुर वाणी और दूसरा सज्जनों की संगति.

– वही गृहस्थी सुखी है, जिसकी संतान उनकी आज्ञा का पालन करती है. पिता का भी कर्तव्य है कि वह पुत्रों का पालन-पोषण अच्छी तरह से करें. इसी प्रकार ऐसे व्यक्ति को मित्र नहीं कहा जा सकता है, जिस पर विश्वास नहीं किया जा सके और ऐसी पत्नी व्यर्थ है जिससे किसी प्रकार का सुख प्राप्त न हो.

– जो मित्र आपके सामने चिकनी-चुपड़ी बातें करता हो और पीठ पीछे आपके कार्य को बिगाड़ देता हो, उसे त्याग देने में ही भलाई है. चाणक्य कहते हैं कि वह मित्र उस बर्तन के समान है, जिसके ऊपर के हिस्से में दूध लगा है परंतु अंदर विष भरा हुआ होता है.

News Posted by : Radheshyam kushwaha

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