सरायकेला-खरसावां के आदिवासी बहुल गम्हरिया के दुगनी गांव में नवनिर्मित मूक बधिर-नेत्रहीन स्कूल में अब तक पढ़ाई शुरू नहीं हो पायी है. हैरत की बात यह है कि स्कूल भवन दिव्यांग बच्चों के लिए बना था, लेकिन उसमें सीआरपीएफ के जवान रह रहे हैं. पढ़ाई शुरू नहीं हो पा रही है आैर न ही राज्य सरकार के निर्णय के मुताबिक स्कूल को मॉडल स्कूल बनाया जा सका है.
जिला कल्याण पदाधिकारी ने राज्य नि:शक्तता आयुक्त को पत्र लिख कर सीआरपीएफ जवानों (196 बटालियन) के कब्जे से स्कूल को मुक्त कराने की मांग की है.
तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में 16 जुलाई 2018 को बैठक हुई थी, जिसमें उक्त मूक बधिर-नेत्रहीन स्कूल दुगनी को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया था. राज्य में स्थित नेत्रहीन-मूक बधिर स्कूलों में संविदा के आधार पर विशेष शिक्षक नियुक्त कर अविलंब पठन-पाठन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था.
गैर सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को सरकारी स्कूलों में समायोजित करने को भी कहा गया था. सभी को मॉडल स्कूल में परिणत कर आधुनिक आवासीय बनाने का निर्णय लिया गया था. लेकिन सरकार के उक्त निर्णय को सही तरीके से अब तक अमलीजामा नहीं पहनाया गया है.
हाइकोर्ट से गुहार, स्कूल भवन को खाली करायें : नेत्रहीन-मूक बधिर स्कूल भवन को खाली करवा कर पढ़ाई शुरू करने के लिए हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है. अरुण कुमार सिंह की ओर से अधिवक्ता अनूप अग्रवाल ने याचिका दायर की है. इसमे…
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