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ओबरा सीट पर रहा है समाजवादियों का कब्जा, पांच बार विधायक बने रामविलास ने लगायी थी हैट्रिक

ओबरा विधानसभा क्षेत्र पर समाजवादियों का कब्जा रहा है. 1972 के परिसीमन के पहले दाउदनगर व ओबरा विधानसभा क्षेत्र अलग- अलग विधानसभा क्षेत्र था.

दाउदनगर: ओबरा विधानसभा क्षेत्र पर समाजवादियों का कब्जा रहा है. 1972 के परिसीमन के पहले दाउदनगर व ओबरा विधानसभा क्षेत्र अलग- अलग विधानसभा क्षेत्र था. 1952 के पहले चुनाव में दाउदनगर से रामनरेश सिंह और ओबरा से पदारथ सिंह विधायक निर्वाचित हुये थे.

कांग्रेस यहां से तीन बार जीती है .1957 में दाउदनगर विधानसभा क्षेत्र से इंका कै सैयद अहमद कादरी, 1962 में राम नारायण सिंह यादव तथा ओबरा विधानसभा क्षेत्र से 1962 में तिलकेश्वर राम, 1967 में आरके सिंह एवं 1972 में नारायण सिंह ओबरा से विधायक निर्वाचित हुये थे. रामनरेश सिंह 1967 में भी विधायक निर्वाचित होकर दाउदनगर विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे.

वहीं 1969 में पदारथ सिंह ओबरा विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होकर और ओबरा विधायक रहे.दाउदनगर विधानसभा क्षेत्र में रहते हुये रामविलास सिंह 1969 व 1972 दो बार विधायक निर्वाचित हुये. नये परिसीमन के बाद जब चुनाव हुआ तो ओबरा विधानसभा क्षेत्र से ही रामविलास सिंह निर्वाचित हुये और उन्होंने जीत की हैट्रिक लगायी.

1980 में पहली बार इस सीट पर भाजपा को जीत मिली और वीरेंद्र प्रसाद सिंह विधायक निर्वाचित हुये. लेकिन उसके बाद लगातार दो चुनाव 1985 व 1990 में रामविलास सिंह विधायक चुने गये. उनके बाद उन्हें 1995 व 2000 में इस सीट पर वामपंथी दल का हो गया. लगातार दो बार राजाराम सिंह विधायक चुने गये.

फरवरी और अक्टूबर 2005 में यह सीट वामपंथी कब्जे से निकल गयी और राजद से सत्यनारायण सिंह विधायक चुने गये. 2010 में ओबरा विधानसभा क्षेत्र के इतिहास में पहली बार एक निर्दलीय को सफलता मिली और सोम प्रकाश सिंह ने एनडीए की लहर में भी निर्दलीय जीत कर सबको चौंका दिया था. 2015 में राजद के वीरेंद्र कुमार सिन्हा ने चुनाव जीता.

posted by ashish jha

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