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Bihar Weather forecast : पूर्वी बिहार में अभी 10 दिन और एक्टिव रहेगा मानसून, होगी झमाझम बारिश

जून से सितंबर तक चार महीने तक सक्रिय रहने के बाद देश के कई इलाके से मानसून की विदाई हो गयी. वहीं लौटते मानसून के बादलों का जमावड़ा अब तक पूर्वी बिहार, कोसी, सीमांचल, संथाल परगना व पश्चिमी बंगाल व नॉर्थ इस्ट भारत में लगा हुआ है.

भागलपुर : जून से सितंबर तक चार महीने तक सक्रिय रहने के बाद देश के कई इलाके से मानसून की विदाई हो गयी. वहीं लौटते मानसून के बादलों का जमावड़ा अब तक पूर्वी बिहार, कोसी, सीमांचल, संथाल परगना व पश्चिमी बंगाल व नॉर्थ इस्ट भारत में लगा हुआ है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक वीरेंद्र कुमार ने बताया कि फिलहाल दस अक्तूबर तक इलाके में मानसून के बादल उमड़ते रहेंगे. एक सप्ताह तक इधर उधर बारिश होती रहेगी. भागलपुर जिले की बात करें तो बीते सितंबर माह में 239 मिमी बारिश हुई. वहीं एक जनवरी 2020 से 30 सितंबर तक 1107 मिमी बारिश हो चुकी है, जबकि 2019 में 1074 मिमी बारिश हुई थी. लॉकडाउन के कारण मौसम व जलवायु में सुधार के कारण अभी भी 1200 मिमी तक बारिश हो सकती है. उम्मीद है कि इस बार रबी की सफल को बारिश से राहत मिल सकती है.

अगस्त में भागलपुर जिले में कम बारिश

अगस्त माह में भागलपुर जिले में कम बारिश हुई थी. अगस्त माह में संभावित 271 की बजाय कुल 109.8 मिमी वर्षा हुई. यही स्थिति पूरे बिहार का रहा. इस कारण बाढ़ से कुछ दिनों के लिए राहत मिल गयी. लेकिन चार महीनों के मॉनसून सीज़न में देश के अन्य हिस्सों में अगस्त में सबसे ज्यादा बारिश हुई. अन्य हिस्सों में अगस्त में सामान्य से 27% ज्यादा बारिश हुई जो बीते चार दशकों में सबसे ज़्यादा है. पहला महीना जून सामान्य से अधिक बारिश के साथ बीता था लेकिन इसकी अधिक बारिश को जुलाई खा गया क्योंकि जुलाई में अपेक्षा से कम बारिश हुई. मॉनसून सीज़न के सबसे अच्छे महीनों में एक जुलाई के खराब प्रदर्शन के बावजूद मॉनसून सीज़न का 109% के स्तर पर सम्पन्न होना भी इसकी एक उपलब्धि है.

बिहार में औसत से अधिक हुई मानसूनी बारिश

पूर्वी बिहार समेत पूरे राज्य में 2020 में औसत से अनुमान से नौ फीसदी अधिक बारिश हुई. जबकि देशभर में औसत वर्षा 880.6 मिमी के मुक़ाबले 957.6 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गयी. अच्छी बारिश के चलते यह वर्ष 1994 के बाद दूसरा सबसे अच्छा मॉनसून रहा. मॉनसून 2019 में भी सामान्य से बेहतर बारिश हुई थी और एलपीए था 110%. मॉनसून 2020 की खास बात यह भी रही कि इसने देश के लगभग 85% क्षेत्र में सामान्य या सामान्य से ज़्यादा बारिश दी. महज़ 15% क्षेत्र ऐसे रहे जहां पर मॉनसून कमजोर रहा और बारिश सामान्य से कम दर्ज की गयी. इन 15% क्षेत्रों में उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम और त्रिपुरा शामिल हैं. अधिक वर्षा वाले राज्यों की सूची में 4 सबसे ज़्यादा वर्षा वाले राज्य रहे सिक्किम, गुजरात, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश, इनमें क्रमशः 60%, 58%, 46%, और 44% औसत से अधिक वर्षा दर्ज की गयी.

मानसून पर पूरी दुनिया के मौसम का असर रहता है

मॉनसून के प्रदर्शन पर विश्व के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों की स्थिति का भी असर देखने को मिलता है. इसमें यूरेशिया में सर्दियों में हुई बर्फबारी, हिमालयी क्षेत्रों में होने वाली बर्फबारी, आर्कटिक क्षेत्र में बर्फ, प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान समेत कई अन्य पहलू शामिल हैं. ऐसे में इन सभी के मॉनसून पर सीधे प्रभाव का आकलन कर पाना कठिन है. दुनिया भर में वैज्ञानिकों के जारी गंभीर प्रयासों के बावजूद मॉनसून का पूर्वानुमान आगे भी चुनौतीपूर्ण बना रह सकता है. हालांकि अन्य मौसमी स्थितियों के साथ-साथ ज्ञात मापदंडों के आधार पर मॉनसून का पूर्वानुमान एक नियमित प्रक्रिया बनी रहेगी.

posted by ashish jha

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