Krishi Bill 2020 : कांग्रेस की कैबिनेट बैठक के बहिष्कार की धमकी के बाद महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को नए कृषि कानूनों को लागू करने के अपने अगस्त के आदेश को वापस ले लिया है. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार पहले से ही कृषि सुधार कानूनों के कार्यान्वयन को लेकर दुविधा में थी. बता दें कि हाल ही में संसद द्वारा पारित किए गए कृषि कननूनों का महराष्ट्र सरकार में सहयोगी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने विरोध किया था और उन्होंने इन कानूनों को किसान विरोधी बताया था.
बता दें कि पिछले हफ्ते, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजीत पवार ने घोषणा की थी कि राज्य सरकार कृषि सुधार कानूनों को लागू नहीं करेगी. उप मुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजीत पवार ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि राज्य सरकार राज्य में कृषि कानूनों को लागू नहीं करेगी. सोमवार को सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों को सलाह दी कि वे संविधान के अनुच्छेद 254 (2) के तहत कानून की सभी संभावनाओं का निरीक्षण करें ताकि “कृषि विरोधी कानूनों” को नकारा जा सके और किसानों के साथ “घोर अन्याय” को रोका जा सके.
महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार ने विगत 10 अगस्त को ही मार्केटिंग के डायरेक्टर सतीश सोनी के जरिये अधिसूचना जारी की थी कि राज्य में प्रस्तावित कानून के तीनों अधिनियमों को सख्ती से लागू किया जाए. गौरतलब है कि संसद के दोनों सदनों ने कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों जैसे विपक्षी पार्टियों के विरोध के बीच कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को पारित कर दिया गया था. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये विधेयक अब कानून बन चुके हैं.