Laxmi Vilas Bank Crisis : देश में करीब 94 साल पुराने लक्ष्मी विलास बैंक पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है. कर्ज में फंसे इस बैंक के ग्राहकों को संदेश भेजकर यह संदेश दिया जा रहा है कि उनका पैसा पूरी तरह सुरक्षित है. इस बीच, खबर यह है कि बैंक के लाखों ग्राहकों को पीएमसी बैंक जैसे संकट से बचाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने दखल देना शुरू कर दिया है. खबर है कि आरबीआई ने कर्ज में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) के दैनिक कामकाज को देखने के लिए निदेशकों की तीन सदस्यीय समिति (सीओडी) के गठन की मंजूरी दे दी है. शेयरधारकों द्वारा बैंक के सातों निदेशकों को बर्खास्त किये जाने के बाद आरबीआई ने यह कदम उठाया है.
आरबीआई ने 27 सितंबर को नियुक्त किया सीओडी
बैंक की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि निदेशकों की समिति अंतरिम तौर पर प्रबंध निदेशक और सीईओ की विवेकाधीन शक्तियों का इस्तेमाल करेगी. बयान के अनुसार, आरबीआई ने 27 सितंबर को सीओडी को नियुक्त किया था. इसमें तीन स्वतंत्र निदेशक मीता मखान, शक्ति सिन्हा और सतीश कुमारा कालरा हैं. समिति की अध्यक्ष मीता मखान हैं.
एजीएम ने शेयरधारकों ने बैंक के पदाधिकारियों किया बर्खास्त
सालाना आम बैठक (एजीएम) में शेयरधारकों ने शुक्रवार को एलवीबी प्रबंध निदेशक और सीईओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) समेत सातों निदेशकों और ऑडिटरों को बर्खास्त कर दिया था. नये बोर्ड ने निवेशकों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि बैंक की नकदी की स्थिति संतोषजनक है. इसके साथ ही, नये बोर्ड ने डिपॉजिटर्स से भी कहा कि उनका पैसा पूरी तरह सुरक्षित है.
बैंक के पास 262 फीसदी एलसीआर
बयान के अनुसार, ‘नकदी कवरेज अनुपात (एलसीआर) 27 सितंबर की स्थिति के अनुसार करीब 262 फीसदी था, जबकि आरबीआई के अनुसार इसे न्यूनतम 100 फीसदी होना चाहिए. जमाकर्ता, बांडधारक और खाताधारक तथा कर्जदाता पूरी तरह से सुरक्षित हैं.’ इसमें कहा गया है कि लक्ष्मी विलास बैंक कानून के अनुसार जरूरी हर सूचना सार्वजनिक रूप से साझा करेगा.
मलविन्दर और शिविन्दर को कर्ज देने के बाद खड़ा हुआ संकट
बैंक की समस्या उस समय शुरू हुई, जब उसने एसएमई (लघु एवं मझोले उद्यम) के बजाए बड़ी कंपनियों पर ध्यान देना शुरू किया. बैंक ने फार्मा कंपनी रैनबैक्सी के पूर्व प्रवर्तक मलविन्दर सिंह और शिविन्दर सिंह की निवेश इकाई को 720 करोड़ रुपये का कर्ज दिया. यह कर्ज 2016 के अंत और 2017 की शुरुआत में 794 करोड़ रुपये की मियादी जमा पर दिया गया. यहीं से बैंक की समस्या शुरू हुई.
दिल्ली पुलिस ने दो पूर्व कर्मचारियों को किया गिरफ्तार
पिछले सप्ताह दिल्ली पुलिस ने लक्ष्मी विलास बैंक के दो पूर्व कर्मचारियों को गिरफ्तार किया. उन पर कथित रूप से रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड के 729 करोड़ रुपये की मियादी जमा की रसीद के कथित रूप से दुरुपयोग का आरोप है. आरबीआई ने सितंबर 2019 में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बढ़ने के साथ बैंक को तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई के अंतर्गत रखा. बैंक को मार्च 2020 को समाप्त वित्त वर्ष में 836.04 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ.
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Posted By : Vishwat Sen
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