Shaheed Bhagat Singh Jayanti, Quotes, status, messages, Birthday 2020, Lifestory : देश के महान क्रांतिकारी और शहीद भगत सिंह (Shaheed Bhagat Singh) की जयंती आज यानी 28 सितंबर (Bhagat Singh Jayanti 2020) को है. वे अपनी जिंदगी की परवाह किये बिना संघर्ष करते हुए देश के लिए शहीद हो गए थे. उनका जन्म लायलपुर जिले के बंगा में सन् 1907 में हुआ था. 23 साल की उम्र में ही अंग्रेजों ने उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया था. आपको बता दें कि कल प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान देशवासियों को भगत सिंह (Bhagat Singh) के पराक्रम के बारे याद दिलाया, साथ ही साथ जयंती की शुभकामनाएं भी दीं. ऐसे में आइये हम आपको बताते हैं उनके कुछ अनमोल विचारों (Bhagat Singh Quotes) के बारे में…
देश के आजादी के लिए चले आंदोलनों में इनकी अहम भूमिका रहती थी. जब जलियांवाला बाग कांड हुआ तो महज 12 साल के थे. इस घटना से उनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ा. बस फिर क्या था, 14 की उम्र में वे अपने स्कूल की किताबों और कपड़ों को आग लगा कर निकल पड़े देश में लगे आग को बुझाने. सन् 1920 में पहली बार वो महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन में शामिल हुए.
हालांकि, बाद में उनकी विचारधारा उनसे अलग हो गई लेकिन मकसद एक था ‘देश की आजादी’. 23 की उम्र में ब्रिटिश सेना द्वारा ने उन्हें फांसी पर लटकाने का फरमान जारी कर दिया. आपको बता दें कि भगत सिंह मार्क्स के विचारों से काफी प्रभावित थे. उनका इंकलाब जिंदाबाद का नारा आज भी काफी प्रसिद्ध है. इसका मतलब है कि क्रांति की जय हो. इस नारे ने देशवासियों में जोश भरने का काम किया था.
मां भारती के वीर सपूत अमर शहीद भगत सिंह की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। वीरता और पराक्रम की उनकी गाथा देशवासियों को युगों-युगों तक प्रेरित करती रहेगी। pic.twitter.com/LMy2Mlpkol
— Narendra Modi (@narendramodi) September 28, 2020
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जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं.
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मेरा धर्म देश की सेवा करना है.
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प्रेमी, पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं.
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सूर्य विश्व में हर किसी देश पर उज्ज्वल हो कर गुजरता है परन्तु उस समय ऐसा कोई देश नहीं होगा जो भारत देश के सामान इतना स्वतंत्र, इतना खुशहाल, इतना प्यारा हो.
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यह एक काल्पनिक आदर्श है कि आप किसी भी कीमत पर अपने बल का प्रयोग नहीं करते, नया आन्दोलन जो हमारे देश में आरम्भ हुआ है और जिसकी शुरुवात की हम चेतावनी दे चुके हैं वह गुरुगोविंद सिंह और शिवाजी महाराज, कमल पाशा और राजा खान, वाशिंगटन और गैरीबाल्डी, लाफयेत्टे और लेनिन के आदर्शों से प्रेरित है.
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मनुष्य/इन्सान तभी कुछ करता है जब उसे अपने कार्य का उचित होना सुनिश्चित होता है, जैसा की हम विधान सभा में बम गिराते समय थे. जो मनुष्य इस शब्द का उपयोग या दुरुपयोग करते हैं उनके लाभ के हिसाब के अनुसार इसे अलग-अलग अर्थ और व्याख्या दिए जाते हैं.
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राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है. मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है
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यदि बहरों को सुनना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा. जब हमने बम गिराया तो हमारा धेय्य किसी को मारना नहीं थ. हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था . अंग्रेजों को भारत छोड़ना चाहिए और उसे आज़ाद करना चहिये.
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किसी को ‘क्रांति’ शब्द की व्याख्या शाब्दिक अर्थ में नहीं करनी चाहिए. जो लोग इस शब्द का उपयोग या दुरूपयोग करते हैं उनके फायदे के हिसाब से इसे अलग अलग अर्थ और अभिप्राय दिए जाते हैं.
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कोई भी व्यक्ति जो जीवन में आगे बढ़ने के लिए तैयार खड़ा हो उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमे अविश्वास करना होगा और चुनौती भी देना होगा.
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किसी भी इंसान को मारना आसान है, परन्तु उसके विचारों को नहीं. महान साम्राज्य टूट जाते हैं, तबाह हो जाते हैं, जबकि उनके विचार बच जाते हैं.
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जरूरी नहीं था कि क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो. यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं था.
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आम तौर पर लोग जैसी चीजें हैं उसके आदी हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं. हमें इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की जरूरत है.
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जो व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा तथा उसे चुनौती देनी होगी.
Posted By : Sumit Kumar Verma