भाजपा (BJP) के सबसे पुराने साथियों में से एक शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) ने भी उसका साथ छोड दिया. कारण किसानों (Kisan Bill 2020) का मुद्दा…यदि आपको याद हो तो कुछ दिन पहले ही अकाली दल ने संसद में लाए गए कृषि संबंधी विधेयकों को लेकर सरकार छोड़ दी थी. इसके बाद उसने एनडीए (NDA) से अलग होने का ऐलान कर दिया है. अकाली दल का अलग होना भाजपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि उसके सबसे विश्वस्त सहयोगियों में शामिल दो प्रमुख दल शिवसेना और अकाली दल के रास्ते अब एनडीए से अलग हो चुके हैं.
क्या कहते हैं जानकार : राजनीतिक जानकारों की मानें तो भाजपा के लिए अपने सहयोगियों के बीच विश्वास कायम रख पाना चुनौती से कम नहीं है. शिवसेना ने एनडीए का साथ पहले ही छोड दिया था…जदयू के साथ रिश्ते किसी से छिपे नहीं और एक बार उसका साथ छोड़ भी चुका है. रामविलास पासवान की लोजपा भी बिहार चुनाव के पहले असमंजस की स्थिति में है. पिछले दिनों मीडिया में खबरें भी आईं थी कि लोजपा के रास्ते एनडीए से अलग हो सकते हैं. इस वक्त भाजपा को भले ही सहयोगी दल महत्वपूर्ण न लगे. ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र में उसकी अपने दम पर सरकार है. कई राज्य में भी वह सत्ता पर काबिज है, लेकिन भविष्य में उसको भरोसेमंद मजबूत साथी ढूंढना किसी चुनौती से कम नहीं होने वाला है.
कृषि विधेयकों के विरोध में एनडीए से अलग हुआ अकाली दल: शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कृषि विधेयकों के विरोध में शनिवार रात को भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग होने की घोषणा की. पार्टी की कोर समिति की बैठक के बाद उन्होंने यह घोषणा की. इससे पहले एनडीए के दो अन्य प्रमुख सहयोगी दल शिवसेना और तेलगु देशम पार्टी भी अन्य मुद्दों पर गठबंधन से अलग हो चुके हैं.
क्या कहा सुखबीर सिंह बादल ने : सुखबीर ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई कोर समिति की हुई आपात बैठक में भाजपा नीत एनडीए से अलग होने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की भावनाओं का आदर करने के बारे में भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी दल अकाली दल की बात नहीं सुनी. इससे पहले, 17 सितंबर को सुखबीर सिंह बादल की पत्नी और अकाली दल की वरिष्ठ नेता हरसिमरत कौर ने कृषि विधेयकों के विरोध में कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
Posted By : Amitabh Kumar