Fact Check : फेसबुक, ट्विटर पर आये दिन हम रोज कोई न कोई मुद्दे को ट्रेंड करते हुए देखते हैं. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है जिसके जरिये दावा किया जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार मोदी सरकार ने स्कूली किताबों पर टैक्स लगा दिया है. फेसबुक और ट्विटर पर एक ग्राफिक शेयर किया जा रहा है, जिसपर लिखा है- ‘School की किताबों पर Tax लगाने वाला पहला देश बना भारत.’ फेसबुक, ट्विटर और वाट्सऐप समेत तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कई यह अफवाहें तेजी से फैल रही हैं. इस दावे की सच्चाई का पता पीआईबी ने लगाया है.
दावा: सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा कि केंद्र सरकार ने स्कूली किताबों पर टैक्स लगा दिया है। #PIBFactCheck: यह दावा फर्जी है। स्कूली टेक्स्ट बुक्स पर कोई टैक्स नहीं है। pic.twitter.com/OsvfgYMOgC
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) September 24, 2020
बता दें कि इन दिनों सोशल मीडिया पर दवा किया जा रहा है की मोदी सरकार ने स्कूली किताबों पर टैक्स लगा दिया है. कहा जा रहा है कि भारत स्कूली किताबों पर टैक्स लगाने वाला पहला देश बन गया है .जैसी ही स्कूली किताबों पर टैक्स लगाने की खबर फैलने लगीं तो सरकार ने उन्हें फर्जी करार देते हुए एक स्पष्टीकरण जारी किया है. वायरल हो रहे इस पोस्ट का पीआईबी फैक्ट चेक किया. पीआईबी ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रहा यह पोस्ट फर्जी है.
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भारत सरकार की तरफ से वायरल हो रहे इस पोस्ट का पीआईबी फैक्ट चेक किया. पीआईबी फैक्ट चेक के ट्विटर हैंडल से लिखा गया है- ‘दावा: सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा कि केंद्र सरकार ने स्कूली किताबों पर टैक्स लगा दिया है। PIB यह दावा फर्जी है. स्कूली टेक्स्ट बुक्स पर कोई टैक्स नहीं है. इससे पहले भी दावा किया जा रहा था कि कोरोना महामारी के चलते केंद्र सरकार स्कूल और कॉलेजों के सभी छात्रों को उनकी फीस भरने के लिए 11,000 रुपए प्रदान कर रही है. पीआईबी की टीम ने फेक्ट चेक में पाया कि केंद्र सरकार द्वारा ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है.