रांची : राज्य के गांवों के विकास का 633 करोड़ रुपये पड़ा हुआ है. दो महीना पहले राशि का आवंटन किया गया था, लेकिन इस राशि का उपयोग नहीं हो पा रहा है. मुखिया राशि खर्च नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में पंचायतों और गांव में होनेवाले विकास कार्य रुके हुए हैं. यह सारा कुछ केवल राशि खर्च करने के लिए मार्ग दर्शन नहीं दिये जाने की वजह से हो रहा है. अभी तक सरकार ने राशि कैसे खर्च होगी इसे लेकर मार्गदर्शन नहीं दिया है.
इधर त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल दिसंबर में समाप्त होने जा रहा है. दिसंबर माह या इसके बाद कभी भी यहां चुनाव हो सकता है. यानी दिसंबर माह तक ही मौजूदा निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के पास समय है कि वे राशि खर्च कर सकें और विकास का काम करा सके. ऐसे में सारे जनप्रतिनिधि भी परेशान हैं. पहली किस्त की राशि दी है केंद्र ने भारत सरकार ने 15वें वित्त आयोग से पहली किस्त की राशि राज्य को दी है.
इस संबंध में ग्रामीण विकास सचिव आराधना पटनायक ने सारे संबंधित अधिकारियों को अवगत भी कराया है. उन्होंने जुलाई में ही लिखा है कि प्रथम किस्त के रूप में आबद्ध अनुदान ( टाइड ग्रांट) और आधारभूत अनुदान ( अन टाइड ग्रांट) में क्रमशः 422 और 422 करोड़ कुल 844 करोड़ राशि देने की स्वीकृति दी है. इसमें से 75 परसेंट राशि ग्राम पंचायतों को उनकी आबादी और क्षेत्रफल के हिसाब से करीब 633 करोड रुपये आवंटित कर दिया है. दिसंबर में कार्यकाल समाप्त हो जायेगा निर्वाचित त्रिस्तरीय जनप्रतिनिधियों का
क्या कहते हैं मुखिया : झारखंड मुखिया संघ के अध्यक्ष विकास कुमार महतो ने कहा कि दो महीने से भी ज्यादा समय से आकर राशि पड़ी हुई है, लेकिन वे खर्च नहीं कर पा रहे हैं. उनके पास भी दिसंबर तक का ही समय है. अभी के समय में गांव में काफी विकास का काम करना था. सारे विकास के कार्य लटके पड़े हैं, लेकिन राशि खर्च करने के लिए उन्हें गाइड लाइन ही नहीं दिया जा रहा है.
क्या कहते हैं अफसर : इधर अफसरों का कहना है कि राशि दे दी गयी है. अब खर्च करने के लिए मार्गदर्शन की प्रक्रिया की जा रही है. जल्द ही उन्हें मार्गदर्शन दे दिया जायेगा. इसमें विलंब
नहीं होगा.
Post by : Pritish Sahay