13.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Bihar Election 2020: पुरुषों की तुलना में वोट करने में महिलाएं निकल रही आगे, लेकिन नहीं बढ़ रही महिला प्रतिनिधियों की संख्या…

पटना: महिलाओं का बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना पिछले लोस चुनाव की सबसे खूबसूरत बात कही जा सकती है. मतदान के दौरान उत्साह भी देखा गया. इनमें महिलाओं की लंबी–लंबी कतारें सबसे सुखद अहसास करा रही थी. महिलाओं का मत प्रतिशत में नारी चेतना में उभार के रूप में देखा जा सकता है. राष्ट्रीय स्तर पर 1962 में महिलाओं की कुल आबादी का महज 47 फीसदी ने ही भाग लिया था. जबकि, 2019 में यह बढ़ कर 59.92 प्रतिशत हो गया. अर्थात महिलाएं न सिर्फ पुरुषों से कदम ताल ही कर रहीं है. बल्कि, उनसे आगे भी निकल रही है. पिछले विस चुनाव में भी महिलाओं के वोट प्रतिशत में वृद्वि देखने को मिली. संख्या में पुरुषों से कम होने के बावजूद महिलाओं का वोट प्रतिशत ज्यादा देखने को मिला. 2015 में भी महिलाओं ने पुरुषों के अपेक्षाकृत अधिक मतदान किया.

पटना: महिलाओं का बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना पिछले लोस चुनाव की सबसे खूबसूरत बात कही जा सकती है. मतदान के दौरान उत्साह भी देखा गया. इनमें महिलाओं की लंबी–लंबी कतारें सबसे सुखद अहसास करा रही थी. महिलाओं का मत प्रतिशत में नारी चेतना में उभार के रूप में देखा जा सकता है. राष्ट्रीय स्तर पर 1962 में महिलाओं की कुल आबादी का महज 47 फीसदी ने ही भाग लिया था. जबकि, 2019 में यह बढ़ कर 59.92 प्रतिशत हो गया. अर्थात महिलाएं न सिर्फ पुरुषों से कदम ताल ही कर रहीं है. बल्कि, उनसे आगे भी निकल रही है. पिछले विस चुनाव में भी महिलाओं के वोट प्रतिशत में वृद्वि देखने को मिली. संख्या में पुरुषों से कम होने के बावजूद महिलाओं का वोट प्रतिशत ज्यादा देखने को मिला. 2015 में भी महिलाओं ने पुरुषों के अपेक्षाकृत अधिक मतदान किया.

70 प्रतिशत महिलाएं वोट डालने के मामले में अपने पतियों से राय नहीं लेती

आंकड़ों के अनुसार बिहार के लोस चुनाव में महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में 4.66 प्रतिशत ज्यादा मतदान किया. 2014 के लोस चुनाव के अपेक्षाकृत इस बार 2.26 प्रतिशत की वृद्वि सुकून देने वाली है. बीते 2009 के लोस चुनाव की तुलना में 15.45 प्रतिशत की वृद्वि नयी उम्मीद की तरह है. सामान्यत: घर के पुरुष वर्ग ही फैसले लेता है. लेकिन, महिलाओं का वोट का प्रतिशत बढ़ जाना विकास की अनकही कहानी है. शिक्षा के लोकव्यापीकरण व राजनीतिक सशक्तीकरण व महिलाओं के लिए कार्यक्रमों की वजह से भी समाज में जागरूकता आती हैं और लोकतंत्र मजबूत होता है. जड़ समाज की तमाम बंदिशों के बावजूद महिलाएं अप्रत्याशित रूप मतदान कर रहीं हेै, तो इस परिघटना की अनदेखी ‘यूं’ ही नहीं हो सकती है.

70 प्रतिशत महिलाएं वोट डालने के मामले में अपने पतियों से राय नहीं लेती

एक गैर सरकारी संस्था द्वारा किये गये अध्ययन से यह ज्ञात हुआ कि 70 प्रतिशत महिलाएं वोट डालने के मामले में अपने पतियों से राय नहीं लेती है. महिलाओं ने कहा कि वह बात को सुन तो लेती हैं. लेकिन, इस मामले में निर्णय वह खुद लेती हैं.

सदन या दलों में महिला प्रतिनिधियों की संख्या नहीं बढ़ नहीं रही

इस पूरे मामले में देश में महिला वोटरों की संख्या तो बढ़ रही है. लेकिन, सदन या दलों में महिला प्रतिनिधियों की संख्या नहीं बढ़ नहीं रही है. इसका चुनावों में महिलाओं को कम टिकट दिया जाना है. पिछले लोस चुनाव में भी महिलाओं की चुनाव के मैदान में नगण्य ही टिकट दिया गया. इसके पीछे दलों के अंदर पुरुषवादी सोच ही जिम्मेदार रहा है. यही वहज है कि 2019 के लोस में मात्र आठ प्रतिशत महिलांए ही संसद पहुंच पायी. जबकि, 92 प्रतिशत पुरुष सांसद हैं.

Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें