बक्सर : कोरोना संक्रमण काल ने हमें रोग प्रतिरोधक क्षमता और उसे बनाए रखने के लिए पोषक तत्वों से युक्त आहार की जरूरत से पूरी तरह अवगत करा दिया है. इन पोषक तत्वों का महत्व गर्भवती और धात्री माताओं के स्वास्थ्य के क्षेत्र में और बढ़ जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ जैसी संस्थाओं के अनुसार विश्व में प्रतिदिन लगभग 810 महिलाओं की मृत्यु गर्भावस्था या प्रसव के दौरान हो जाती है. जिसका एक प्रमुख कारण उनमें पोषण की कमी है. अतएव महिलाओं में पोषण संबंधित जागरूकता बहुत आवश्यक है, ताकि वह सुपोषित एवं स्वस्थ रहकर शिशुओं के भविष्य और स्वस्थ समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (2015-16) के सर्वे के अनुसार भारत में मां बनने योग्य आयु की एक चौथाई महिलाएं कुपोषित हैं. कुपोषित मां एक कमजोर बच्चे को जन्म देती है तथा यही कुपोषण का चक्र पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है और प्रसव काल में या उसके बाद भी मृत्यु होने की संभावनाएं बढ़ जाती है. बक्सर जिला में 49.2 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं खून की कमी या एनीमिया से ग्रसित हैं.
सिविल सर्जन डॉ जितेंद्रनाथ ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान पोषक तत्वों जैसे प्रोटीन, कैल्सियम आयरन की जरूरत पहले की अपेक्षा ज्यादा होती है. बिहार सरकार ने इसके मद्देनजर कोरोना काल में भी इनकी उपलब्धता सभी स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र, या सेविका/ आशा कार्यकर्ता के पास सुनिश्चित की है. वर्तमान स्थिति में कोरोना महामारी के कारण बेहतर मातृ पोषण सुनिश्चित करना बेहद चुनौतीपूर्ण है, यदि गर्भवती अपने भोजन में आसानी से उपलब्ध दूध और दूध से बनी वस्तुएं मूंगफली, पनीर, काजू, बदाम, हरी पत्तेदार सब्जी दाल, मौसमी फल, मांस, मछली, अंडे, तिल, गुड़, भुने चने शामिल करें तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-सी युक्त खट्टे फल जैसे नींबू, आंवला का सेवन करें तो पॅोषण की कमी को पूरी तरह से दूर करना संभव है. इसके अलावे पर्याप्त मात्र में पानी का सेवन, स्वच्छता का ध्यान, कोरोना प्रोटोकाल का सख्ती से पालन कर तथा अनावश्यक बाहर न जाकर घर में खुद को सुरक्षित रखना जरूरी है.
गर्भावस्था के दौरान पोषण के साथ-साथ चार प्रसव पूर्व जांच भी माता और शिशु के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. सभी स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर वीएचएसएनडी के दौरान गर्भवती महिलाओं में प्रसवकाल के दौरान होने वाली वजन या खून की कमी, उच्च रक्तचाप एवं मधुमेह जैसी लक्षणों की नि:शुल्क जांच उपलब्ध है. साथ ही बेहतर स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त पोषण के साथ स्वच्छता के विषय में भी जानकारी प्रदान की जाती है. इससे प्रसव के समय या बाद में होने होने वाली जटिलताओं से आसानी से बचा जा सकता है. चार जांच पूरे होने पर गर्भवती को आर्थिक लाभ का प्रावधान भी है. जिसका मुख्य उद्देश्य गर्भवती और धात्री माताओं का पोषण प्रदान कर उनके तथा उनके शिशु के लिए सुरक्षित स्वस्थ और पोषित समुदाय का निर्माण करना है.
posted by ashish jha