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Bihar Election 2020: भाजपा और जदयू के साथ चुनाव लड़ने के कारण बीजेपी के इन छह से आठ मौजूदा विधायकों का कट सकता है टिकट …

कौशिक रंजन,पटना: इस बार कोरोना काल में बिहार में होने जा रहा विधानसभा चुनाव कई मायने में खास है. डिजिटल माध्यमों का प्रयोग अधिक होने के अलावा राजनीतिक परिक्षेत्र में भी अलग है. इस बार बिछड़े हुए दो प्रमुख दल भाजपा और जदयू एक साथ मिलकर चुनावी मैदान में हैं. दोनों दलों के एक साथ आने से इस बार भाजपा और जदयू के बीच सीटों की साझेदार होने की वजह से भाजपा के छह से आठ मौजूदा विधायकों का टिकट कटने की संभावना है. इसे लेकर तेजी से कवायद शुरू हो गयी है.

कौशिक रंजन,पटना: इस बार कोरोना काल में बिहार में होने जा रहा विधानसभा चुनाव कई मायने में खास है. डिजिटल माध्यमों का प्रयोग अधिक होने के अलावा राजनीतिक परिक्षेत्र में भी अलग है. इस बार बिछड़े हुए दो प्रमुख दल भाजपा और जदयू एक साथ मिलकर चुनावी मैदान में हैं. दोनों दलों के एक साथ आने से इस बार भाजपा और जदयू के बीच सीटों की साझेदार होने की वजह से भाजपा के छह से आठ मौजूदा विधायकों का टिकट कटने की संभावना है. इसे लेकर तेजी से कवायद शुरू हो गयी है.

पटना व गया समेत कई जिलों के विधानसभा क्षेत्रों के विधायकों का टिकट कटने की संभावना

जिनका टिकट इस बार कटने की संभावना है, इन्हें किसी महत्वपूर्ण स्थानों या अन्य किसी रूप में एडजस्ट करने को लेकर भी पार्टी के अंदर मंथन शुरू हो गया है. इनमें पटना व गया समेत कई जिलों के विधानसभा क्षेत्रों के विधायकों का टिकट कटने की संभावना जतायी जा रही है. हालांकि, भाजपा, जदयू और लोजपा-हम के बीच आपस में सीटों का बंटवारा पूरा होने के बाद ही यह स्पष्ट हो पायेगा कि किनकी सीट इस बार कट रही है.

2020 में भाजपा फिर से 2010 वाले समीकरण के साथ चुनावी मैदान में

पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2015 में भाजपा और जदयू में अलगाव होने की वजह से दोनों अलग-अलग चुनाव लड़े थे. भाजपा 157 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन जीत महज 53 सीटों पर ही हासिल हुई थी, परंतु उसे सबसे ज्यादा 24.42 प्रतिशत वोट मिले थे. इससे पहले यानी 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू एक साथ चुनाव लड़े थे. उस समय के गठबंधन में भाजपा को 102 सीटें मिली थीं. इनमें उसने 91 सीटों पर जीत हासिल की थी. उसे 16.49 प्रतिशत वोट मिले थे. वोटों का यह प्रतिशत 2015 की तुलना में 7.93 प्रतिशत कम था. वोट प्रतिशत कम होने के बावजूद गठबंधन के कारण भाजपा को 2010 में 2015 की तुलना में ज्यादा सीटें मिली थीं. 2020 में भाजपा फिर से 2010 वाले समीकरण के साथ चुनावी मैदान में है. ऐसे में कई स्तर पर बदलाव आने की संभावना है.

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इस बार 10 से 12 फीसदी विधायकों का टिकट कट सकता है

भाजपा को यह भरोसा है कि वह भले ही पिछले बार से कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन उसके जीते सीटों की संख्या ज्यादा रहेगी. इसके लिए भाजपा और जदयू दोनों साझा रूप से सीटों को लेकर कसरत करने में लगे हैं. कौन -सी सीटें किसके लिए ज्यादा लाभकारी होंगी या कहें किस सीट पर किसकी पकड़ ज्यादा होने के कारण वह सीट उसे मिलनी चाहिए. इस एडजस्टमेंट में इस बार 10 से 12 फीसदी विधायकों का टिकट कट सकता है. आपसी कसरत पूरी होने के बाद ही एनडीए के सभी घटक दल आपसी सहमति के साथ सीटों का बंटवारा करेंगे. इसके बाद ही पूरी तस्वीर साफ होगी.

Published by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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