डुमरांव : शहर के अधिकांश क्लिनिकों व नर्सिंग होम के संचालकों द्वारा बॉयोमेडिकल कचरा खुले में फेंकने वालों के खिलाफ नगर पर्षद प्रशासन ने कड़ा रूख अपनाया है. ऐसे कचरे से शहर की स्वच्छता और पर्यावरण के लिए गंभीर संकट बन गया है. नप ने इस कचरे को खुलेआम फेंकने पर सख्त पाबंदी लगायी है.
नप की टीम ने शहर के वैसे लापरवाह बने 22 क्लिनिकों को चिह्नित किया है, जिसके ऊपर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. नप नगरपालिका अधिनियम 2007 के तहत इन क्लिनिकों के संचालकों पर नोटिस भेज जुर्माना की राशि वसूल करेगी.
नप सूत्रों ने बताया कि प्राइवेट क्लिनिक चलाने वाले और कई दवा दुकानदार भी इस दायरे में शामिल हैं, जो दुकानदारी की आड़ में क्लिनिक चलाते हैं. नप की टीम सर्वे कर 17 क्लिनिक व नर्सिंग होम तथा पांच दुकानदारों की पहचान की है, जो बॉयोमेडिकल कचरे को खुलेआम सड़कों पर फेंकते हैं. इन कचरों से पर्यावरण दूषित होता है तथा मरीजों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है.
नप के प्रधान सहायक दुर्गेश सिंह ने बताया कि बॉयोमेडिकल कचरे निस्तारण को लेकर कई नियम बनाये गये हैं. इन कचरों को नीले व हरे रंग के डस्टबीन या क्लिनिक में रखे गये निजी लाल व पीले डस्टबीन का ही उपयोग करना है फिर भी संचालकों द्वारा खुलेआम रूप से नियमों की अवहेलना की जाती है.
नगर विकास व आवास विभाग के निर्देशों के तहत वैसे संचालकों पर नोटिस भेज कार्रवाई की जायेगी, जिसके आधार पर ट्रेड लाइसेंस, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तहत 150 रुपये की राशि प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना के तौर पर वसूली की जायेगी. बतादें कि शहर के कई मोहल्लों में क्लिनिक , नर्सिंग होम, पैथोलाजी लैब, ट्रामा सेंटर का संचालन होता है. इससे निकलने वाले बॉयोमेडिकल कचरा सड़कों पर ही फेंका जाता है. ऐसे कचरे से संक्रमण बढ़ने तथा पर्यावरण दूषित होने का खतरा बना रहता है.
posted by ashish jha