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झारखंड के आदिवासियों ने दी जनगणना रोकने की धमकी, मानव शृंखला बनाकर हेमंत सोरेन से की सरना कोड की मांग

झारखंड के आदिवासियों ने वर्ष 2020-21 की जनगणना को रोकने की धमकी दी है. सरना धर्म को मानने वाले आदिवासियों ने रविवार (20 सितंबर, 2020) को राज्य के सभी जिलों में मानव शृंखला बनाकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सरना धर्म कोड लागू करने की मांग की है. अपनी मांग के समर्थन में सभी जिलों की सड़कों पर सरना ड्रेस कोड के साथ हाथ में पोस्टर-बैनर लेकर प्रदर्शन किया.

रांची : झारखंड के आदिवासियों ने वर्ष 2020-21 की जनगणना को रोकने की धमकी दी है. सरना धर्म को मानने वाले आदिवासियों ने रविवार (20 सितंबर, 2020) को राज्य के सभी जिलों में मानव शृंखला बनाकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सरना धर्म कोड लागू करने की मांग की है. अपनी मांग के समर्थन में सभी जिलों की सड़कों पर सरना ड्रेस कोड के साथ हाथ में पोस्टर-बैनर लेकर प्रदर्शन किया.

केंद्रीय सरना समिति एवं विभिन्न आदिवासी संगठनों की अगुवाई में आदिवासी समाज ने सरना कोड की मांग करते हुए राजधानी रांची में बिरसा चौक से विधानसभा तक एवं कोकर स्थित बिरसा समाधि स्थल से बूटी मोड़ एवं अन्य टोला-मोहल्ला में मानव शृंखला बनाकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया.

केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि सरना कोड आदिवासियों की वर्षों पुरानी मांग है. बाबा कार्तिक उरांव एवं मरङ्ग गोमके जयपाल सिंह मुंडा ने सरना कोड की मांग तत्कालीन सरकार से किया था. उस वक्त षड्यंत्र के तहत आदिवासियों को सरना कोड नहीं दिया गया. यह संघर्ष अब तक जारी है.

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श्री तिर्की ने कहा कि आदिवासी अपनी अलग पहचान के लिए संघर्ष करता रहा है और आगे भी करता रहेगा. उन्होंने हेमंत सोरेन की सरकार से मांग की है कि मानसून सत्र में सरना धर्म कोड बिल पारित कर केंद्र को भेजें, अन्यथा आदिवासी समाज सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेगा.

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उन्होंने कहा कि इस राज्य में मुख्यमंत्री आदिवासी, राज्यपाल आदिवासी एवं विपक्ष के नेता भी आदिवासी. बावजूद इसके दुर्भाग्य यह है कि आदिवासियों को अपनी बात उन तक पहुंचाने के लिए सड़क पर आंदोलन करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि मानसून सत्र में सरना कोड को नहीं लिया गया, तो मंत्री-विधायकों को गांव-घर में घुसने नहीं देंगे.

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केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष ने धमकी दी कि सरना कोड लागू कराने के लिए आदिवासी समाज देशव्यापी चक्का जाम करने से भी पीछे नहीं हटेगा. वहीं, महासचिव संजय तिर्की ने कहा कि गुलाम भारत में वर्ष 1871 से 1941 तक धर्म का कॉलम था, परंतु 1947 में आजादी के बाद 1951 में जनगणना हुई.

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उन्होंने कहा कि वर्ष 1951 की प्रथम जनगणना में ही आदिवासियों के धर्म के कॉलम को हटा दिया गया. उन्होंने कहा कि फिर से आदिवासियों के धर्म के कॉलम को री-स्टोर किया जाये. कार्यक्रम में केंद्रीय सरना समिति की महिला शाखा की अध्यक्ष नीरा टोप्पो, केंद्रीय समिति के संरक्षक भुनेश्वर, रांची जिला सरना समिति के अध्यक्ष अमर तिर्की व अन्य मौजूद थे.

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मानव शृंखला में महिलाओं के साथ बच्चे भी हुए शामिल

लोहरदगा जिला में अपनी चिर-परिचित मांग धर्म कॉलम कोड को लागू करने की मांग को लेकर सरना आदिवासियों ने मानव शृंखला बनायी. मानव शृंखला में प्रबुद्ध जनों के साथ-साथ बच्चे एवं महिलाएं भी शामिल हुईं. एक स्वर में सभी ने कहा हमारी मांगे पूरी करनी होगी. कहा कि आज तक उन्हें छला गया, सरना कोड के नाम पर लोगों ने गंदी राजनीति की. अब और नहीं. अपना अधिकार लेके रहेंगे.

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Posted By : Mithilesh Jha

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