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Bihar Election 2020: कभी धोरैया में कांग्रेस के किले को ध्वस्त कर भाकपा ने लहराया था लाल झंडा, अब जदयू ने जमाया कब्जा…

सुभाष वैद्य, बांका: एक जमाने में धोरैया विधानसभा की सीट पर वाम दलों की अच्छी-खासी पैठ थी. धोरैया विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के विजय रथ रोकने में पहली कामयाबी सीपीआइ को ही मिली थी. मसलन, जिले के किसी एक विधानसभा सीट पर सीपीआइ का विधायक बना, तो वह धोरैया ही है. वर्ष 2000 के बाद सीपीआइ यहां भी सुस्त पड़ गयी. सियासत ने करवट बदली और अब मुकाबला जदयू और राजद के बीच हो गया. जदयू विगत दो दशकों से यहां काबिज है.2000 का जब चुनाव लड़ा गया था तब समता पार्टी थी. 2000 के बाद ही समता पार्टी का रूपांतर जदयू के रूप में हुआ. तब से इस सीट पर जदयू का कब्जा है.

सुभाष वैद्य, बांका: एक जमाने में धोरैया विधानसभा की सीट पर वाम दलों की अच्छी-खासी पैठ थी. धोरैया विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के विजय रथ रोकने में पहली कामयाबी सीपीआइ को ही मिली थी. मसलन, जिले के किसी एक विधानसभा सीट पर सीपीआइ का विधायक बना, तो वह धोरैया ही है. वर्ष 2000 के बाद सीपीआइ यहां भी सुस्त पड़ गयी. सियासत ने करवट बदली और अब मुकाबला जदयू और राजद के बीच हो गया. जदयू विगत दो दशकों से यहां काबिज है.2000 का जब चुनाव लड़ा गया था तब समता पार्टी थी. 2000 के बाद ही समता पार्टी का रूपांतर जदयू के रूप में हुआ. तब से इस सीट पर जदयू का कब्जा है.

कांग्रेस के बाद कम्युनिस्ट, अब जदयू

1951 में जब पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ था तब धोरैया अमरपुर विधानसभा क्षेत्र का ही हिस्सा हुआ करता था. अमरपुर उस समय दो मेंबर वाला विधानसभा क्षेत्र था. यहां के पहले कांग्रेस विधायक सामान्य सीट से पशुपति सिंह व रिजर्व सीट से भोला दास बने थे. 1957 में धोरैया अलग हो गया, परंतु, कांग्रेस का दबदबा बरकरार रहा. 1957 में कांग्रेस पार्टी से मौलाना समसुद्दीन विधायक बने. 1962 फिर निर्वाचित हुए. 1967 में एस मंडल विधायक बने. 1969 में निर्दलीय राम चनूरा भानू निर्वाचित हुए. इसके बाद यहां सीपीआइ ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली. 1972 से लगातार 1980 तक सीपीआइ के उम्मीदवार नरेश दास के सिर पर जीत का सेहरा बंधता रहा.

कांग्रेस की वापसी 1985 में रामरूप हरिजन के रूप में

कांग्रेस की वापसी 1985 में रामरूप हरिजन के रूप में हुई. इसके बाद हुए 1990 और 1995 के विधानसभा चुनाव में सीपीआइ की फिर से वापसी नरेश दास के ही रूप में हुई. यानी 2000 तक सीपीआइ यहां सत्तासीन रही. इसके बाद समता पार्टी से वर्ष 2000 में भूदेव चौधरी विधायक बने. 2005 आम व उपचुनाव में भूदेव चौधरी जदयू से निर्वाचित हुए.

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भूदेव बने जमुई के सांसद बने तो जदयू ने मनीष को मैदान में उतारा

2009 में हुए लोकसभा चुनाव में भूदेव चौधरी जमुई से जदयू का प्रत्याशी बनाया गया. धोरैया विधायक रहते हुए भूदेव सांसद निर्वाचित हुए और उपचुनाव में जदयू की ओर से मनीष कुमार मैदान में उतरे और जीत गये. उसके बाद हुए अब तक के चुनाव में मनीष कुमार ही विजयी रहे.भूदेव चौधरी रालोसपा की टिकट पर धोरैया विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और मनीष कुमार से हार गये. तब रालोसपा एनडीए में थी, परंतु इस बार समीकरण उल्टा है. रालोसपा महागठबंधन के साथ है और एक बार फिर भूदेव चौधरी मैदान में मेहनत करते नजर आ रहे हैं. अगर, राजद का साथ अबकी रहा तो खेल बड़ा हो सकता है, परंतु राजद की ओर से भी अलग-अलग कार्यकर्ता अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं.

धोरैया विधानसभा के निर्वाचित विधायक

1951- पशुपति सिंह, कांग्रेस

1957- मौलाना समसुद्यीन, कांग्रेस

1962 मौलाना समसुद्दीन, कांग्रेस

1967- एस मंडल, कांग्रेस

1969- राम चनूरा भानू, निर्दलीय

1972- नरेश दास, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

1977- नरेश दास, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

1980- नरेश दास, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

1985- रामरूप हरिजन, कांग्रेस

1990- नरेश दास, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

1995- नरेश दास, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

2000- भूदेव चौधरी, समता पार्टी

2005- भूदेव चौधरी, समता पार्टी

2010- मनीष कुमार, जनता दल यू

2015- मनीष कुमार, जनता दल यू

Published by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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