Parliament monsoon session, Agriculture reform Bills, Lok sabha, Farmers Protest against Agriculture Ordinance: संसद के मानसून सत्र के पहले दिन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कृषि से जुड़ा तीन विधेयक लोकसभा में पेश किया. इन विधेयकों को लेकर देश के कई राज्यों के किसान विरोध कर रहे हैं. अलग-अलग शहरों में किसानों ने कृषि से जुडे केंद्र सरकार के विधेयक के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है और सड़कों पर डटे हैं.
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू ) से बड़ी संख्या में जुड़े किसान तीनों अध्यादेश के खिलाफ बुधवार को संसद के बाहर धरना प्रदर्शन करने वाले हैं. भाकियू नेता गुरनाम सिंह का कहना है कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसान, विधेयकों के विरोध में संसद के बाहर धरना प्रदर्शन करेंगे. केंद्र सरकार इन अध्यादेशों के किसानों के लिए फायदेमंद बता रही है तो फिर किसान इसका विरोध क्यों कर रहे हैं? आइए जानें उन अध्यादेशों में क्या है?
Haryana: Farmers block National Highway 44 near Kurukshetra in protest against the three recent agriculture ordinances passed by the Union Cabinet. pic.twitter.com/MCnOBKXrsI
— ANI (@ANI) September 10, 2020
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश इस अध्यादेश से किसान अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति यो संस्था को बेच सकते हैं. इसके जरिये सरकार एक देश, एक बाजार की बात कर रही है. किसान अपना उत्पाद खेत में या व्यापारिक प्लेटफॉर्म पर देश में कहीं भी बेच सकेंगे. इस बारे में केंद्रीय कृष मंत्री नरेंद्र तोमर ने लोकसभा में बताया था कि इससे किसान अपनी उपज की कीमत तय कर सकेंगे. जिसकी मदद से किसान के अधिकारों में इजाफा होगा और बाजार में प्रतियोगिता बढ़ेगी.
किसान को उसकी फसल की गुणवत्ता के अनुसार मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता मिलेगा. मगर किसान इसमें अपना नुकसान देख रहे हैं. किसानों को सबसे बड़ा डर मंडी एक्ट के प्रभाव को सीमित करने वाले अध्यादेश कृषि उपज, वाणिज्य और व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) को लेकर है. इसके जरिए राज्यों के मंडी एक्ट को केवल मंडी परिसर तक ही सीमित कर दिया गया है. यानी अब कहीं पर भी फसलों की खरीद-बिक्री की जा सकेगी. बस फर्क इतना होगा कि मंडी में खरीद-बिक्री पर मंडी शुल्क लगेगा, जबकि बाहर शुल्क से छूट होगी.
पहले व्यापारी फसलों को किसानों के औने-पौने दामों में खरीदकर उसका भंडारण कर लेते थे और कालाबाज़ारी करते थे, उसको रोकने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था जिसके तहत व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक लगा दी गयी थी. अब नये विधेयक आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू जैसी वस्तुओं को हटाने के लिए लाया गया है.
इन वस्तुओं पर राष्ट्रीय आपदा या अकाल जैसी विशेष परिस्थितियों के अलावा स्टॉक की सीमा नहीं लगेगी. इस पर सरकार का मानना है कि अब देश में कृषि उत्पादों को लक्ष्य से कहीं ज्यादा उत्पादित किया जा रहा है. किसानों को कोल्ड स्टोरेज, गोदामों, खाद्य प्रसंस्करण और निवेश की कमी के कारण बेहतर मूल्य नहीं मिल पाता है.
यह कदम फसल की बुवाई से पहले किसान को अपनी फसल को तय मानकों और तय कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने की सुविधा प्रदान करता है. इससे किसान का जोखिम कम होगा. दूसरे, खरीदार ढूंढने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा. किसानों का कहना है कि इसके जरिये कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग को आगे बढ़ाया जाएगा. कंपनियां खेती करेंगी और किसान मजदूर बनकर रह जाएगा.
उसके सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होगी. हाल में सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की गाइडलाइन जारी की है. इसमें कॉन्ट्रैक्ट की भाषा से लेकर कीमत तय करने का फॉर्मूला तक दिया गया है. लेकिन कहीं भी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य का कोई जिक्र नहीं है, जिस पर किसान नेता सवाल उठा रहे हैं.
Posted By: utpal kant