साकिब, पटना : राज्य का पहला सरकारी आइवीएफ सेंटर आइजीआइएमएस में बनकर तैयार हो चुका है. इसमें इस्तेमाल हाेने वाली लगभग सारी मशीनें भी आ गयी हैं. जल्द ही इसका उद्घाटन भी हाे सकता है. उद्घाटन से पहले ही यहां आइवीएफ कराने के लिए करीब 50 मरीजों ने रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया है. कोरोना को लेकर हालात सामान्य होते ही यहां आइवीएफ होने लगेगा. इससे राज्य भर में बांझपन की शिकार महिलाओं को मां बनने में बड़ी मदद मिलेगी. पुरुषों में भी संतानहीनता के कारणों को यहां दूर किया जायेगा.
आइजीआइएमएस के नये बने आइवीएफ सेंटर में पिछले दिनों कैंसर पीड़ित एक युवक के स्पर्म को सुरक्षित कर के रखा गया है. इलाज के दौरान कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी देने पर उसके स्पर्म को नुकसान पहुंच सकता है. ऐसे में भविष्य में उसे पिता बनने में परेशानी नहीं हो, इसके लिए यह कदम उठाया गया. इसके बारे में जानकारी देते हुए यहां के रिप्रोडक्टिव मेडिसिन विभाग की डॉ कल्पना सिंह कहती हैं कि एआरटी तकनीक से युवक के स्पर्म को माइनस तापमान पर सुरक्षित रखा गया है. अब कोई भी व्यक्ति यहां अपने स्पर्म को भविष्य के लिए सुरक्षित रख सकता है. इसके लिए उसे करीब तीन हजार प्रोसेसिंग फीस और पांच हजार सलाना देना होगा.
आइजीआइएमएस के चिकित्सा अधीक्षक डॉ मनीष मंडल बताते हैं कि सेंटर का निर्माण केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की सांसद निधि से हुआ है. ऐसे में उनसे इसका उद्घाटन करवाया जायेगा. अभी कोरोना के कारण सभी जगहों पर आइवीएफ बंद है. हालात सामान्य होते ही यहां आइवीएफ होने लगेगा. यहां आइवीएफ बाजार से आधी कीमत पर होगा. यह राज्य का पहला सरकारी आइवीएफ सेंटर है.
गंभीर रूप से बीमार कोविड रोगियों के लिए हाई फ्लो नेजल केनुला (एचएफएनसी) मशीन जीवन रक्षक साबित हो रहा है. पटना के बुद्धा कैंसर हॉस्पिटल में उपलब्ध यह मशीन बिहार का एकमात्र एचएफएनसी मशीन है जो रोगियों को अपनी सेवा देने में लगा हुआ है. बुद्धा कैंसर हॉस्पिटल के वरीय चिकित्सक व कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अरविंद ने बताया कि अभी तक अस्पतालों में मरीजों की ऑक्सीजन थैरेपी वेंटिलेटर के मार्फत की जा रही थी. अब पटना में एचएफएनसी मशीन के आने से अब मरीज को 60 लीटर प्रति मिनट की रफ्तार से ऑक्सीजन दी जा सकेगी. डॉ. अरविंद ने कहा कि कोविड मरीजों की सेहत सही से सांस नहीं ले पाने के कारण बिगड़ती है.
पटना. आइजीआइएमएस में आने वाले मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. पिछले कुछ दिनों में यहां भर्ती मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. ऐसे में आइजीआइएमएस प्रशासन ने यहां आइसोलेशन बेडो की संख्या में बढ़ोतरी का फैसला लिया है. अब यहां आइसोलेशन के 70 बेड होंगे. पहले इसके 40 बेड थे. यहां के नियमों के तहत हर भर्ती मरीज को पहले आइसोलेशन वार्ड में रखा जाता है. इस वार्ड में मरीज की कोरोना जांच का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा जाता है. निगेटिव आने पर मरीज को वार्ड में भेज दिया जाता है. जहां आगे का इलाज होता है. वहीं जांच रिपोर्ट अगर पॉजिटिव आती है तो मरीज को कोविड अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है.
posted by ashish jha