Jharkhand News : रांची : झारखंड के ढाई हजार सहायक पुलिस अपनी मांगों को लेकर आंदोलित हैं. इसी क्रम में बड़ी संख्या में सहायक पुलिसकर्मी रांची के मोरहाबादी मैदान में पहुंच चुके हैं. सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गये हैं. ये मुख्यमंत्री आवास का घेराव की योजना लेकर रांची पहुंचे हैं. आपको बता दें कि इससे पहले इन्होंने काला बिल्ला लगाकर काम करते हुए विरोध दर्ज कराया था.
तीन वर्ष बाद स्थायी बहाली के आश्वासन पर इन्हें वर्ष 2017 में सहायक पुलिस के रूप में नियुक्त किया गया था. झारखंड में ढाई हजार महिला-पुरुष सहायक पुलिस के रूप में नियुक्त हुए थे. अपनी मांगों को लेकर सहायक पुलिसकर्मियों ने 4 से 6 सितंबर तक काला बिल्ला लगाकर काम किया था. सहायक पुलिस के पद पर काम कर रहे कर्मियों का कहना है कि उनकी बहाली तत्कालीन रघुवर सरकार के समय वर्ष 2017 में हुई थी.
पूरे राज्य में 2500 सहायक पुलिस की बहाली की हुई थी. इनमें 800 महिलाएं हैं. इनकी अनुबंध की अवधि एक वर्ष के लिए बढ़ाई गई और यह अवधि अगस्त 2020 में समाप्त हो गई, लेकिन इनके अनुबंध का नवीनीकरण नहीं किया गया. सीधी नियुक्ति की मांग को लेकर ये आंदोलित हैं. लोहरदगा में 150 सहायक पुलिस बहाल किये गये थे. फिलहाल यहां 132 सहायक पुलिस कार्यरत हैं.
झारखंड की हेमंत सरकार ने राज्य के सभी 24 जिलों के एसपी से मंतव्य मांगा है कि इनकी उपयोगिता क्या है ? उसके बाद ही इस पर निर्णय लिया जायेगा. इधर सहायक पुलिस का कहना है कि उन्हें पिछले 3 वर्षों से सिर्फ 10 हजार रुपये मानदेय पर रखकर काम लिया जाता रहा है. वह अपना भविष्य देखते हुए काम कर रहे थे. दूसरे कार्यों को छोड़कर इन्होंने इस पद पर सेवा दी है और अब झारखंड सरकार उनसे पीछा छुड़ाना चाहती है. सरकार पुलिस के रूप में उनकी सीधी नियुक्ति करे.
इन सहायक पुलिस के जवानों को ट्रैफिक, सुरक्षा, बैंक, समाहरणालय के गेट सहित अन्य स्थानों पर ड्यूटी दी जाती रही है और विभिन्न कार्यक्रमों में भी इन्हें लगाया जाता रहा है. झारखंड के सहायक पुलिस कर्मियों में सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश है. राज्य के 12 उग्रवाद प्रभावित जिलों में इनकी बहाली की गई थी. मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने के लिए ये विभिन्न जिलों से पैदल रांची पहुंचे हैं. इस दौरान कुछ सहायक पुलिसकर्मियों की तबीयत खराब भी हो गयी थी.
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Posted By : Guru Swarup Mishra