बेरूत : पिछले महीने हुए भयानक विस्फोट से बेरूत अभी बाहर निकला भी नहीं है और गुरुवार को एक और भीषण विस्फोट से दहल उठा. समाचार एजेंसी रायटर के हवाले से खबर है कि बेरूत के पोर्ट में भयंकर विस्फोट हुआ है, जिससे आप-पास आसमान में का धुंआ भर गया. आग पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है. आस-पास के इलाकों से लोगों को बाहर निकाला जा रहा है. फायरब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंच चुकी हैं और आग पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है. विस्फोट के बाद वहां पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया. लोग इधर-उधर भागने लगे.
बृहस्पतिवार को लगी आग का कारण अभी पता नहीं चल पाया है. बंदरगाह में लगी आग से दोपहर में धुआं उठा और जमीन पर लपटें दिखाई पड़ रही थीं. लेबनानी सेना ने कहा कि आग गोदाम में लगी है जहां तेल और टायर रखे गए हैं. सेना ने कहा कि आग पर काबू पाने का काम जारी है और इस अभियान में सेना के हेलीकाप्टरों की मदद ली जा रही है.
स्थानीय टीवी स्टेशनों का कहना है कि बंदरगाह के नजदीक जिन कंपनियों के कार्यालय हैं उनके कर्मचारियों को क्षेत्र से बाहर जाने को कह दिया गया है. बंदरगाह के पास से गुजरने वाली मुख्य सड़क को सेना ने बंद कर दिया है. सरकारी समाचार एजेंसी ने कहा कि आग गोदाम में लगी है जहां टायर रखे हुए हैं. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में बंदरगाह पर काम करने वाले कर्मचारियों को डर के मारे भागते हुए देखा जा सकता है. मालूम हो इससे पहले अगस्त महीने में बेरूत में भयंकर विस्फोट हुआ था, जिसमें 180 लोग मारे गये और 6,000 से अधिक लोग घायल हो गये. कम से कम 30 लोग अब भी लापता हैं.
लेबनान के राष्ट्रपति माइकल औन ने कहा है कि बेरूत में हुए भयावह विस्फोटों की जांच ‘बहुत जटिल’ है और यह जल्द समाप्त नहीं होगी. इस्तीफे की उठती मांगों पर प्रतिक्रिया देते हुए औन ने फ्रांसीसी टेलीविजन स्टेशन बीएफएमटीवी से कहा कि पद छोड़ना असंभव होगा क्योंकि इससे सत्ता में निर्वात की स्थिति बन जाएगी.
Fire erupts in Beirut port area, a month after massive blast https://t.co/1PCOTH28Gm
— Reuters (@Reuters) September 10, 2020
बेरूत के बंदरगाह में रखे करीब 3,000 टन अमोनियम नाइट्रेट में आग लगने का कारण अभी तक पता नहीं चला है. जो दस्तावेज सामने आये हैं, उनसे पता चलता है कि औन समेत देश के शीर्ष नेताओं और सुरक्षा अधिकारियों को सालों से रखे रसायन के बारे में पता था.
औन ने कहा कि जांच तीन हिस्सों में बंटी हुई है. पहले हिस्से का मकसद बंदरगाह के आसपास की परिस्थितियों का पता लगाना, दूसरे चरण का मकसद रसायन कहां से आया, यह पता लगाना और तीसरे भाग में इसे संभालने तथा इसकी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार लोगों का पता लगाना है. औन ने कहा, हमने जल्द से जल्द निष्कर्ष पर पहुंचने का संकल्प लिया था लेकिन हमें पता चला कि विषय बहुत पेचीदा है और समय लगेगा.
Posted By – Arbind Kumar Mishra