भारतीय संस्कृति में श्राद्ध का काफी महत्व बताया गया है. श्राद्ध का मतलब श्रद्धा से किया गया कार्य होता है. पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं. जबकि, पितरों को तृप्त करने की क्रिया और देवताओं, ऋषियों या पितरों को तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया तर्पण होती है. तर्पण करना ही पिंडदान कहलाता है. पौराणिक मान्यता है कि रामायण में राजा दशरथ के निधन की खबर मिलने पर भगवान श्रीराम ने वनवास में रहते हुए भी पिता का श्राद्ध किया था. श्राद्ध के सोलह दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं और उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं. यहां देखिए पितृपक्ष में दस चीजों के दान का क्या महत्व होता है?
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Pitru Paksha 2020: श्राद्ध में 10 महादान करने से होगा विशेष लाभ, पितरों की रहेगी हमेशा कृपा
भारतीय संस्कृति में श्राद्ध का काफी महत्व बताया गया है. श्राद्ध का मतलब श्रद्धा से किया गया कार्य होता है. पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं. जबकि, पितरों को तृप्त करने की क्रिया और देवताओं, ऋषियों या पितरों को तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया तर्पण होती है. तर्पण करना ही पिंडदान कहलाता है. पौराणिक मान्यता है कि रामायण में राजा दशरथ के निधन की खबर मिलने पर भगवान श्रीराम ने वनवास में रहते हुए भी पिता का श्राद्ध किया था. श्राद्ध के सोलह दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं. हमारी खास पेशकश में देखिए पितृपक्ष में दस चीजों के दान का क्या महत्व है?
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