बेंगलुरू : इस बार देश में दुर्गा पूजा और दशहरा की धूम नहीं होगी. कर्नाट के मैसूर का मशहूर दशहरा भी इस बार पारंपरिक तरीके से नहीं मनाया जायेगा और ना ही बंगाल में मां दुर्गा के आगमन की भव्य तैयारी है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने आज मैसूर के मशहूर दशहरा को लेकर मीटिंग की और यह आदेश जारी किया कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण इस बार मैसूर में दशहरा पारंपरिक तरीके से नहीं बल्कि छोटे स्तर पर मनायी जायेगी. उन्होंने बताया कि संभवत: दशहरा के लिए सरकार 10 करोड़ की सहायता देगी.
गौरतलब है कि मैसूर में पिछले 400 वर्ष से दशहरा शाही तरीके से मनाया जाता है. इतिहास के अनुसार विजयनगर साम्राज्य के वक्त से ही यहां दशहरा का आयोजन होता है. यह दस दिवसीय उत्सव है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
वहीं ऐसी सूचना है कि इस बार नवरात्रि का उत्सव भी फीका ही रहेगा. बंगाल, गुजरात, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में दुर्गा पूजा की धूम रहती है. महीना-दो महीना पहले से पूजा की तैयारी होती है और भव्य पंडाल बनाये जाते हैं. लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण इस वर्ष बंगाल, बिहार और झारखंड में ऐसी कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है. प्रभात खबर के बंगाल रिपोर्टर ने बताया कि पूरे प्रदेश में पूजा को लेकर कोई तैयारी नहीं है और ना पंडाल बन रहे हैं.
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पैसे की कमी है, साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर इस बार मां का स्वागत साधारण तरीके ही किया जायेगा. वहीं इस बार डांडिया नाइट का आयोजन भी नहीं हो पायेगा, क्योंकि इसमें सोशल डिस्टेंसिंग रखना मुश्किल होगा. नवरात्रि की शुरुआत 17 अक्तूबर से हो रही है. 17 सितंबर को महालया है. 25 अक्तूबर को विजयादशमी और दशहरा का उत्सव होगा. रावण दहन की परंपरा इस बार कैसे निभाई जायेगी अभी इसपर फैसला नहीं हुआ है.
Posted By : Rajneesh Anand