आनंद मोहन, रांची : आदिवासी महिला सोनादी देवी अक्सर धनबाद अंचल कार्यालय व डीसी कार्यालय के चक्कर लगाती मिल जायेगी. बेबस महिला के पास तन ढंकने के लिए पूरे कपड़े तक नहीं हैं. उसके हाथ में लटकता थैला मानो उसके सपनों की पोटली है, जिसमें जमीन के कागजात भरे होते हैं. ये कागजात वह अफसरों-बाबुओं को दिखाती है और इंसाफ की गुहार लगाती है. सोनादी और उसका परिवार इंदिरा आवास में रहता है, जबकि सोनादी के ससुर खेतू मांझी के नाम धनबाद के महंगे इलाके हीरापुर में सात डिसमिल जमीन है. बाजार में इस जमीन की कीमत करोड़ में जायेगी. फिलहाल इस जमीन पर नारायण प्रसाद गुप्ता नाम के व्यक्ति का कब्जा है.
सोनादी देवी के संघर्ष की कहानी वर्ष 2011 में शुरू हुई, जब उसने भूमि सुधार उप-समाहर्ता के न्यायालय में भू-वापसी के लिए मामला दायर किया. पांच वर्ष बाद उसकी अपील पर फैसला आया. एलआरडीसी के न्यायालय ने हीरापुर के मौजा के खाता संख्या 12, प्लॉट संख्या 1012 दखल दिलाने का निर्देश सीओ को दिया. इस फैसले के खिलाफ दखलदार नारायण गुप्ता उपायुक्त के न्यायालय गये.
जिलाधिकारी के न्यायालय से भी गुप्ता को राहत नहीं मिली. उपायुक्त ने 9 सितंबर 2017 को फैसला सुनाया कि भूमि आदिवासी खाता की है, इसलिए खेतू मांझी को दखल दिलाया जाये. उपायुक्त ने यह भी आदेश दिया कि इस जमीन का रसीद जारी करनेवाले अधिकारी, कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई हो.
हाइकोर्ट के आदेश को छुपाया गया, नहीं मिला दखल : एलआरडीसी व उपायुक्त के आदेश के बाद भी सोनादी देवी को जमीन पर दखल नहीं मिला. दरअसल नारायण गुप्ता हाइकोर्ट चले गये. इस फैसले के खिलाफ उन्होंने हाइकोर्ट में अपील की. तीन-चार वर्षों से सोनादी देवी को बताया जाता रहा है कि हाइकोर्ट में मामला चल रहा है. लेकिन, सच कुछ और ही था. वर्ष 2017 में मामला (वाद संख्या डब्ल्यूपीसी 239/ 2017) हाइकोर्ट पहुंचा था. मामले को खंगाला गया, तो पता चला कि नारायण गुप्ता की अपील 11 अप्रैल 2018 को ही कोर्ट ने खारिज कर दी थी.
पांच सितंबर को फिर सोनादी ने उपायुक्त को पत्र लिख कर लगायी गुहार : पांच सितंबर को धनबाद के वर्तमान उपायुक्त उमाशंकर सिंह को पत्र लिख कर सोनादी देवी ने फिर गुहार लगायी है. सोनादी ने बताया कि किस तरह वह वर्ष 2011 से कानूनी लड़ाई लड़ रही है. उसने बताया है कि उसके पक्ष में फैसला आता रहा है. इसके बाद भी जमीन पर कब्जा नहीं मिल रहा है. उसने हाइकोर्ट के फैसले का भी ब्योरा दिया है.
नारायण गुप्ता ने सीओ को पत्र भेज कर दखल-दिहानी पर जतायी आपत्ति : 20 मार्च को जमीन पर दखल रखनेवाले नारायण प्रसाद गुप्ता ने सीओ धनबाद को पत्र लिख कर दखल दिलाने के आदेश पर आपत्ति जतायी है. नारायण गुप्ता का कहना है कि वह 80 वर्षीय बीमार वृद्ध हैं और उनका मामला न्यायालय में विचाराधीन है. नारायण गुप्ता ने कहा है कि मामले में कोर्ट ने प्रशासन को कोई ऐसा आदेश नहीं दिया है. उनकी यह भी दलील है कि जमीन सीएनटी एक्ट के तहत आती है, जिसमें 12 वर्षों की समय सीमा है. आदिवासी परिवार 12 वर्ष बाद इस मामले को सामने ला रहा है, इसलिए तत्काल दखल की प्रक्रिया को रोका जाये.
Posy by : Pritish Sahay