मुंगेर : कोरोना के कारण मुंगेर के ऋषिकुंड में लगने वाले मलमास मेला पर भी ग्रहण लग गया है. यह मेला 16 सितंबर से शुरू होने वाला था. कोरोना के कारण थोड़ी सी भी लापरवाही बरतना काल को न्योता देने जैसा है. इसके कारण प्रत्येक तीन वर्ष पर लगने वाला ऋषिकुंड मलमास मेला इस बार नहीं लगेगा.
खड़गपुर प्रखंड के बरियारपुर सीमा पर स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थल ऋषिकुंड पहाड़ की तराई में स्थित है. पहाड़ से गर्म जल का झरना यहां लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. ऋषिकुंड में प्रत्येक तीन वर्ष पर मलमास मेला लगता है, जो एक माह तक चलता है. मलमास मेला स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक मजबूती का भी प्रतीक है. ऋषिकुंड से सटे आस-पास के गांवों के लोग यहां मेला के दौरान दुकान लगाते हैं. बिहार के विभिन्न कोने से यहां श्रद्धालु पहुंचते हैं. एक माह तक यह क्षेत्र गुलजार रहता है. मेला को लेकर प्रशासनिक स्तर पर भी यहां पेयजल, शौचलय, रोशनी एवं सुरक्षा की व्यवस्था की जाती है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण मलमास मेला नहीं लगेगा. इसके कारण स्थानीय लोगों में मायूसी छा गयी है.
प्रत्येक तीन सालों में ऋषिकुंड में एक माह के मलमास मेले की परंपरा चली आ रही है. ऋषि मुनियों की साधना स्थली रहे ऋषिकुंड में मुदगल, विभाडंक, शृंगि, देवी साहब, महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज, संत सेवी जी महाराज, अनंत दास जी महाराज, शाही बाबा, भुजंगी बाबा आदि ऋषि-मुनियों ने कठोर साधना कर कीर्ति पताका लहराया. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्म हेतु शृंगि ऋषि द्वारा महाराज दशरथ को पुत्रोष्टि यज्ञ फलीभूत यहीं हुआ था. कालांतर में यह स्थान अनंत दास महाराज के परम गुरु चंचल दास की साधना स्थली बनी. कहा जाता है कि अनंत दास खड़ाऊ पहनकर गंगा पर चलकर पार कर जाते थे. इस बार पहला मौका है जब मलमास मेला का आयोजन कोरोना के कारण नहीं होगा.
posted by ashish jha