रांची : जावरा उरांव की पहचान एक समाजसेवी के तौर पर है. वे मुखिया के तौर पर भी बेहतर कार्य कर चुके हैं. उन्हें इस बात का मलाल है कि उस जमाने में इतनी मेहनत से पढ़ाई करने के बाद भी उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिली. पर, अब खेती कर खुशहाल जिंदगी बीता रहे हैं.
रां ची जिला अंतर्गत गुड़ू गांव के किसान पिछले 40 वर्षों से खेती कर रहे हैं. इस खेती से ही उन्होंने अपनी जिंदगी में सफलता पायी है. खेती से ही खुद पढ़ाई की. घर बनाया. बच्चों को पढ़ाया. उनकी शादी की. प्रगतिशील किसान जावरा उरांव लगभग 80 डिसमिल में सब्जी की खेती करते हैं. खेती में आधुनिक तकनीक व उपायों को अपनाकर अच्छी कमाई करते हैं.
जावरा उरांव कहते हैं कि खेती के लिए सबसे पहले किसानों को मौसम की समझ होनी चाहिए. उन्हें यह समझना होगा कि किस समय कौन सी फसल निकाली जाये, ताकि उन्हें बेहतर दाम मिले. इसके साथ ही हमेशा बेहतर गुणवत्ता वाले बीज का इस्तेमाल करें. तब खेती में मुनाफा होगा.
खेती करके पढ़ाई पूरी की : जावरा उरांव ने वर्ष 1982 में कुड़ूख भाषा में रांची विश्वविद्यालय में एमए में टॉप किया था. इसके साथ ही यूजीसी क्वालिफाई किया था. कुछ समय तक बीएस कॉलेज में छात्रों को पढ़ाया. इसके बाद फिर वापस अपने घर आ गये और खेती करते हैं. पहले दिनों को याद करते हुए जावरा बताते हैं कि जब वो इंटर की पढ़ाई कर रहे थे, उस वक्त सब्जी लेकर शालीमार बाजार जाते थे. फिर वहां से सब्जी बेचकर तत्कालीन रांची कॉलेज जाते थे. एमए तक की पढ़ाई उन्होंने इसी तरह से की. पढ़ाई पूरी करने के बाद गांव के सरकारी स्कूल में बच्चों को मुफ्त में पढ़ाया. फिर वर्ष 1982 में मुखिया चुने गये.
posted by : sameer oraon