पटना: केंद्रीय वित्त मंत्रालय को 15वां वित्त आयोग अपनी रिपोर्ट अक्तूबर में सौंप सकता है. इसके मद्देनजर बिहार ने अपनी संशोधित मांग आयोग को भेजी है, ताकि अंतिम रिपोर्ट तैयार होने से पहले उसमें अतिरिक्त सहायता राशि जोड़ी जा सके. बिहार ने कोरोना के कारण उत्पन्न नयी स्थिति के मद्देनजर स्वास्थ्य सेक्टर में सबसे ज्यादा फोकस कर अतिरिक्त राशि की मांग की है. कोरोना के इस दौर में राज्य में सुपर स्पेशलिटी और कोविड-19 विशेष हॉस्पिटल समेत अन्य कई स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं में जो कमी महसूस की गयी है, उसे दूर करने के लिए 15वें वित्त आयोग से अतिरिक्त राशि की मांग की गयी है.
राज्य सरकार ने इससे पहले भी 15वें वित्त आयोग को अपनी अनुशंसा भेजी थी. इसमें जनसंख्या बढ़ोतरी और देश में सबसे ज्यादा जनसंख्या घनत्व वाले राज्य के अलावा सालाना बाढ़ से प्रभावित होने, मौसम के बदलते मिजाज की वजह से सूखा या असमय बारिश की स्थिति समेत अन्य बातों का उल्लेख करते हुए अतिरिक्त वित्तीय सहायता देने की मांग की गयी थी. लेकिन, अब कुछ अन्य अहम बातों को जोड़ते हुए फिर से संशोधित अनुशंसा भेजी गयी है.
राज्य सरकार ने हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर के अलावा डिजिटल विश्वविद्यालय को स्थापित करने के लिए अतिरिक्त सहायता मांगी गयी है. कोरोना संक्रमण काल में डिजिटल माध्यमों के बढ़ते डिमांड को देखते हुए इस तरह की विश्वविद्यालय की जरूरत काफी महसूस की जा रही है. इसके अलावा केंद्र से मिलने वाली जीएसटी क्षतिपूर्ति मद की सहायता को पांच साल के बाद भी जारी रखने की बात कही गयी है. वर्तमान में इस प्रावधान के पांच साल तक ही जारी रहने की बात कही गयी है.
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लेकिन, लॉकडाउन और वैश्विक मंदी समेत अन्य कारणों को देखते हुए राज्य की आर्थिक स्थिति में लाने और ग्रोथ रेट को बढ़ाने में सहायता करने के लिए इस क्षतिपूर्ति राशि को जारी रखने की मांग की गयी है. राजस्व की स्थिति को मजबूत बनाये रखने के लिए इस क्षतिपूर्ति राशि को जारी रखने की बात कही गयी है. अब राज्य की तरफ से भेजे गये इन प्रस्ताव पर 15वां वित्त आयोग विचार करेगा. इसके बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जायेगा.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya