पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि राज्य में एससी-एसटी से जुड़े जितने भी लंबित मामले हैं, उनका निष्पादन हर हाल में 20 सितंबर, 2020 तक कर लें. उन्होंने लंबित मामलों का निष्पादन तेजी से कराने और इंवेस्टिगेशन कार्य को निर्धारित समय सीमा में पूरा करने को कहा. जो पदाधिकारी इस मामले के निपटारे में गंभीरता नहीं दिखायेंगे, उन पर सख्त कार्रवाई की जायेगी.
मुख्यमंत्री शुक्रवार को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत गठित राज्य स्तरीय सतर्कता और मॉनीटरिंग समिति के बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. मुख्यमंत्री सचिवालय के संवाद कक्ष में आयोजित हुई इस ऑनलाइन बैठक में उन्होंने एससी-एसटी विभाग के सचिव को सख्त निर्देश दिया कि वे लंबित मामलों का निबटारा कराने के लिए हरसंभव पहल करें. डीजीपी को थानावार ऐसे मामलों की समीक्षा करने को कहा है. उन्होंने कहा कि विधि विभाग के स्तर से गठित विशेष न्यायालयों में विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति की प्रक्रिया को तेज करें.
मुख्यमंत्री ने कहा कि एससी-एसटी के लंबित मामलों का जल्द निष्पादन करने के लिए संबंधित विभागों के सचिवों से संपर्क करके तुरंत कार्रवाई शुरू कर दें. जांच से जुड़े मामलों का निबटारा तेजी से करें. सभी थानों में लॉ एंड ऑर्डर और अनुसंधान के लिए अलग-अलग विंग बनाये गये हैं. ताकि, लॉ एंड ऑर्डर का क्रियान्वयन बेहतर तरीके से हो सके. साथ ही अनुसंधान के कार्य भी समय पर पूरे हो सकें. उन्होंने कहा कि जो विशेष लोक अभियोजक अपने दायित्वों का ठीक से निर्वहन नहीं कर रहे हैं, उन्हें भी मुक्त करें. इस दौरान एससी-एसटी कल्याण विभाग के सचिव प्रेम कुमार मीणा ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से पिछले बैठक की कार्यवाही के बारे में जानकारी दी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की बैठक में सभी जन प्रतिनिधियों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं. उन पर भी अमल करते हुए तुरंत कार्रवाई करें. आज जिन-जिन बिंदुओं पर चर्चा की गयी है, उनका निष्पादन ससमय करें. राशन कार्ड वितरण, महादलित के अलावा सभी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वास रहित परिवारों को वास भूमि उपलब्ध कराना, आवास निर्माण समेत अन्य कार्यों में तेजी लाये. उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार को तुरंत राहत दिलाने के लिए अग्रिम राहत राशि जल्द उपलब्ध करायें. इसके लिये सभी जिलों में राशि की उपलब्ध हो. एससी-एसटी पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद दी जा रही है.
समीक्षा के दौरान गृह विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग, पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक (कमजोर वर्ग), सीआइडी, निदेशक अभियोजन की तरफ से इस मामले में किये जा रहे कार्यों की बिंदुवार जानकारी दी. आइजी के स्तर पर दोष-सिद्धि निबटारे के लिए की गयी कार्रवाई, पीड़ित व्यक्तियों को दी जानेवाली राहत, पुनर्वास सुविधाओं एवं उनसे जुड़े अन्य मामलों की भी समीक्षा हुई. जिला स्तर पर गठित निगरानी एवं अनुश्रवण समिति के कार्य कलापों की भी जानकारी दी गयी.
जेडीयू का दामन थामने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पहली बार किसी सरकारी कार्यक्रम में शामिल हुए. इस समीक्षा बैठक में वह भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े हुए थे और उन्होंने भी कई सुझाव दिये. इसके अलावा उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री रमेश ऋषिदेव, सांसद विजय मांझी, सांसद पशुपति कुमार पारस, सांसद प्रिंस राज, सांसद आलोक कुमार सुमन, विधायक ललन पासवान, विधायक सुनील कुमार, विधायक भागीरथी देवी, विधायक प्रेमा चौधरी, विधायक प्रभुनाथ प्रसाद, विधायक रत्नेश सदा, विधायक बेबी कुमारी, विधायक पूनम कुमारी समेत अन्य जन-प्रतिनिधियों ने भी ऑनलाइन अपनी बातें रखी. इस बैठक में मुख्य सचिव दीपक कुमार, डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय, गृह के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, सचिव मनीष कुमार वर्मा, सचिव अनुपम कुमार, गोपाल सिंह मौजूद थे.