शिक्षक दिवस 2020 : सिमडेगा (रविकांत साहू) : जब और शिक्षक सुबह की प्यारी गहरी नींद में सोते थे, तब स्मिथ सोनी (Smith Soni) बच्चों को जगाने के लिए गांव की गलियों में घूमते थे. अन्य शिक्षकों से अलग हट कर लॉकडाउन (Lockdown) में भी घर में बैठ कर उन्होंने दिन नहीं गुजारा. लॉकडाउन में बच्चों को अहले सुबह फोन कर उठाते थे. इतना ही नहीं, जो बच्चे नहीं उठते थे उसके घर वे अहले सुबह पहुंच कर जगाते थे. स्मिथ सोनी ने गांव- गांव जाकर बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक कर उन्हें पढ़ाई के प्रति रुझान पैदा किया. शिक्षा के प्रति जुनून के कारण स्मिथ सोनी को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
स्मिथ सोनी कहते हैं कि ईमानदारी से कड़ी मेहनत और लगन से समाज को बदला जा सकता है. समाज में शिक्षा का अलख जगाने के जुनून के साथ काम करने वाले शिक्षक स्मिथ कुमार सोनी ने शिक्षा की परिभाषा को बदल दिया. बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के साथ ही उनके अभिभावकों को भी स्कूल से जोड़ा. श्री सोनी बरसलोया के रहने वाले हैं.
जिस विद्यालय में स्मिथ कुमार सोनी ने प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की आज उसी विद्यालय में प्रभारी प्रधानाध्यापक बनकर कर स्कूल को सजाने- संवारने का सराहनीय कार्य किया. बचपन में पढ़ें स्कूल को स्मिथ सोनी ने अपना कर्म क्षेत्र बनाया. कर्म क्षेत्र में ईमानदारी से अपना कर्म करते गये. विद्यालय के आसपास एवं विद्यालय परिसर को भी पूरी तरह से शिक्षा के मंदिर के रूप में स्थापित करने का सराहनीय कार्य किया.
कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक प्राइवेट स्कूल में 2 वर्षों तक सेवा दी. 2 वर्षों की सेवा के बाद बीपीएससी के द्वारा प्राथमिक शिक्षक के लिए चयन हुआ. कोलेबिरा प्रखंड में प्रथम योगदान दिया. उसके बाद ट्रांसफर होकर राजकीय कृत विद्यालय, बानो पहुंचे. योगदान के समय मात्र 67 बच्चे थे. आज विद्यालय में बच्चों की संख्या 4 गुना बढ़ गयी है.
स्मिथ सोनी सभी बच्चों को अपने बेटे- बेटियां मानते हैं. स्कूल में भी 500 से ज्यादा छात्रों की संख्या है. सिर्फ 2 शिक्षक रह के वहां का रिजल्ट को उत्तरोत्तर बढ़ाया है. विद्यालय में आईसीटी लैब और कंप्यूटर है. जिसका संचालन शिक्षक करते हैं. साथ ही 2030 में फ्यूचर शानदार के नाम से विद्यालय में एक टाइम है. जिससे बच्चे 2030 में क्या होने वाला है हमारा उस विषय में जानकारी प्राप्त करते हैं. शिक्षक घर- घर जाकर ड्राप आउट बच्चों को बुलाते हैं. श्री सोनी 7 से लेकर 9 बजे दिन में कस्तूरबा बालिका विद्यालय में पढ़ाते हैं, जिससे वहां का रिजल्ट बेहतर हो रहा है.
श्री सोनी ने कहा कि राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने से उनकी जिम्मेवारी और बढ़ गयी है. वे शिक्षकों से आग्रह करते हैं कि आदिवासी बहुल क्षेत्र में बच्चों को पढ़ाना एक बहुत कठिन कार्य है, लेकिन हम मेहनत करके उन बच्चों को पढ़ाने में आगे बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि लोग अपने बच्चों को विद्यालय भेजें. शिक्षक विद्यालय में बच्चों को अवश्य पढ़ाएं. शिक्षक बच्चों के संपर्क में रहें. टोला मोहल्ला में घूमे. अगर संभव हो सके तो बच्चों की मदद करें. स्मिथ सोनी ने बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए उनके अभिभावकों को स्कूल से भावनात्मक रूप से जोड़ दिया. लोग भी पूरी ईमानदारी के साथ स्मिथ सोनी का साथ दिया.
स्मिथ सोनी का कहना है कि अगर स्कूल के विद्यार्थी को अगर शिक्षक अपने बेटे- बेटियों की तरह समझ कर व्यवहार कर अगर पढ़ाते हैं, तो निश्चित रूप से बच्चे स्कूल की ओर रूख करेंगे. बच्चों को रुचिकर तरीके से शिक्षा मुहैया कराना होगा. बच्चे कुम्हार की मिट्टी की तरह होते है. उन्हें जैसा चाहेंगे उसी उसी रूप में ढाल सकते हैं.
Posted By : Samir Ranjan.