13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आगे की सुध

आर्थिक संकुचन से निराश होने की जरूरत नहीं है. आत्मनिर्भरता और स्थानीय उत्पादन व उपभोग को बढ़ावा देकर उत्पादन, आय एवं मांग में तेजी लायी जा सकती है.

लॉकडाउन के दौरान आर्थिक गतिविधियों के थम जाने से अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट की आशंका पहले से ही थी. सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही- अप्रैल से जून तक- में यह कमी पिछले साल की पहली तिमाही की तुलना में 23.9 फीसदी रही है यानी 2019 में अप्रैल से लेकर जून तक उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का जो मूल्य रहा था, उससे लगभग 24 फीसदी कम उत्पादन इस साल इन तीन महीनों में हुआ है.

हालांकि लॉकडाउन हटने जाने के साथ ही उत्पादन, मांग और उपभोग में बढ़ोतरी के संकेत है, लेकिन चिंता की बात यह है कि यह कमी अनुमानों से कहीं अधिक है और इसकी तुरंत भरपाई कर पाना बेहद मुश्किल होगा. महामारी की वजह से भारत समेत दुनियाभर की अर्थव्यवस्था डावांडोल है और इसे पटरी पर आने में कुछ समय लग सकता है. जहां नब्बे के दशक के शुरू से सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में औसतन हर साल सात फीसदी की बढ़त दर्ज की गयी है, किंतु मौजूदा वित्त वर्ष में इसमें सात फीसदी के संकुचन की आशंका है. यह अनुमान कुछ बढ़ या घट सकता है.

पहली तिमाही की कमी की मुख्य वजह कामकाज और कारोबार का ठप पड़ना है. इससे लोगों में और निजी व्यवसायों में मांग में भारी गिरावट आयी थी. इन महीनों में सरकारी मांग जरूर बढ़ी, पर उससे छह फीसदी गिरावट को ही संतुलित किया जा सका. उल्लेखनीय है कि जीडीपी में निजी उपभोग का हिस्सा 56.4 फीसदी और निजी क्षेत्र का योगदान 32 फीसदी है, जबकि सरकार की मांग का भाग केवल 11 फीसदी ही है. यदि गैर-सरकारी जीडीपी में गिरावट को देखें, तो इस साल की पहली तिमाही में यह आंकड़ा 29 फीसदी है. सरकारी हिस्सेदारी इन तीन महीनों में 18 फीसदी से थोड़ा अधिक रही है.

इस संदर्भ में यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि गैर-सरकारी जीडीपी की वृद्धि में कोरोना संकट आने से पहले से ही कमी आ रही थी. अर्थव्यवस्था के घटने-बढ़ने का सीधा समीकरण रोजगार, आमदनी और उत्पादन से जुड़ा हुआ है. उत्पादन बढ़ेगा, तो रोजगार पैदा होगा और लोगों की आमदनी में इजाफा होगा. इस आय से लोग उपभोग करेंगे और मांग में बढ़ोतरी होगी. फिर उत्पादन भी अधिक होगा. कोरोना वायरस के स्याह साये से निकलने के उपाय के रूप में लागू लॉकडाउन ने इस समीकरण को पूरी तरह बिगाड़ दिया.

इस स्थिति का असर हमारे देश के विदेशी व्यापार भी पड़ा. बीती तिमाही में निर्यात में करीब 20 तथा आयात में 40 फीसदी की कमी आयी. इस चिंता से निराश होने की जरूरत नहीं है. आत्मनिर्भरता और स्थानीय उत्पादन व उपभोग को बढ़ावा देकर उत्पादन, आय एवं मांग में तेजी लायी जा सकती है. कृषि, स्टॉक बाजार और विदेशी निवेश की अच्छी स्थिति इंगित करती है कि हमारी अर्थव्यवस्था की आधारभूत संरचना मजबूत है और इसे गति दी जा सकती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें