पटना : राज्य में 2010 व 2015 के विस चुनावों में तय सीट से करीब 14 गुना अधिक उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी पेश की और चुनाव लड़े. वहीं, वर्ष 2005 में करीब आठ गुना व 2000 के विस चुनाव में करीब 12 गुना अधिक उम्मीदवार मैदान में उतरे. हालांकि, उम्मीदवारों की बढ़ती फौज को रोकने को 2009 में तत्कालीन सरकार ने जन प्रतिनिधित्व कानून 1996 में संशोधन किया था. इसके अनुसार विस चुनावों के लिए जमानत राशि करीब दोगुनी कर दी गयी थी.
जमानत राशि बढ़ाये जाने के बावजूद उम्मीदवारों की संख्या में कमी नहीं दिख रही. सूत्रों का कहना है कि विस चुनाव में संशोधन से पहले सामान्य सीट के उम्मीदवार के लिए जमानत राशि पांच हजार थी, जिसे बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दिया गया था. वहीं, अनुसूचित जाति व जनजाति के उम्मीदवारों के लिए पहले जमानत राशि करीब ढाई हजार थी, जिसे बढ़ाकर पांच हजार कर दिया गया था. वहीं, लोस चुनाव के सामान्य उम्मीदवारों के लिए जमानत राशि 10 से बढ़ाकर 25 हजार व अनुसूचित जाति व जनजाति के उम्मीदवारों के लिए पांच हजार से बढ़ाकर 12,500 रुपये कर दी गयी थी.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2000 में 324 सीटों के लिए विस चुनाव में 3941 उम्मीदवार मैदान में थे. इसमें सबसे कम तीन उम्मीदवार केवल एक विस क्षेत्र अलौली (184) में थे. वहीं, सबसे अधिक 27 उम्मीदवार पूर्णिया (139) विस की सीट पर चुनाव लड़े. इस चुनाव में 138 सीटों पर 11 से 15 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा. वहीं, वर्ष 2005 में 243 सीटों के लिए 2135 उम्मीदवारों ने विस चुनाव लड़ा. इसमें सबसे कम तीन उम्मीदवार केवल एक विस क्षेत्र अलौली (166) में थे. वहीं, सबसे अधिक 19 उम्मीदवार नवादा (239) विस की सीट पर चुनाव लड़े. इस चुनाव में 161 सीटों पर छह से 10 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा.
वर्ष 2010 में 243 सीटों के लिए हुए विस चुनाव में 3523 उम्मीदवार मैदान में थे. इसमें सबसे कम छह व सबसे अधिक 31 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा. इस दौरान 123 सीटों पर उम्मीदवारों की संख्या अधिकतम 11 से 15 रही. 2015 में भी 243 सीटों के लिए चुनाव में 3450 उम्मीदवार मैदान में थे. इसमें भी सबसे कम छह उम्मीदवार व अधिकतम 34 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा. इस दौरान 141 सीटों पर अधिकतम 11 से 15 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा.
posted by ashish jha