नयी दिल्ली : भारत में कोरोना वायरस संक्रमण में वृद्धि की वजह विशेषज्ञों के मुताबिक जांच में इजाफा, अर्थव्यवस्था का फिर से खुलना तथा कोविड-19 के खतरे की ओर ध्यान नहीं देते हुए लोगों के भीतर इस संक्रमण संबंधी व्यवहार को लेकर आत्मसंतुष्टि की भावना पैदा होना है.
देश में हफ्तेभर के भीतर पांच लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं जिसकी वजह विशेषज्ञ उपरोक्त कारण मानते हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के सुबह आठ बजे अपडेट किए गए आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना वायरस संक्रमण के 78,761 नये मामले सामने आने से रविवार को संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 35,42,733 हो गई. पिछले चार दिनों से देश में 70,000 से ज्यादा मामले आ रहे हैं.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) में महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डॉ समिरन पांडा ने कहा कि मामलों में यह वृद्धि अपेक्षित थी लेकिन सभी राज्यों में यह स्थिति समान नहीं है. डॉ पांडा ने कहा, कुछ इलाकों में ऐसा हो रहा है और उन समूहों के बीच देखने को मिल रहा है जहां संवेदनशील आबादी तथा बिना लक्षण या हल्के लक्षण वाले लोगों का मिश्रण है, जिससे संक्रमण फैल रहा है. इसलिए इन क्षेत्रों में इस संक्रमण को रोकने के लिए प्रयास करने होंगे.
उन्होंने कहा कि जांच अत्यधिक बढ़ा दी गयी है जिससे ज्यादा मामलों का पता भी चल रहा है. पांडा ने कहा, इसके अलावा अर्थव्यवस्था के खुलने और लोगों की आवाजाही बढ़ने से लोगों में संक्रमण संबंधी व्यवहार को लेकर आत्मसंतुष्टि की भावना पैदा हो रही है जिससे मामलों में बढ़ोतरी हो रही है.
शीर्ष विषाणु विज्ञानी शाहिद जमील ने कहा कि लोग मास्क पहनने, हाथ साफ करने और सामाजिक मेलजोल से बचने संबंधी परामर्श को नहीं मान रहे. उन्होंने कहा, यह उस आधिकारिक विमर्श से उपजे आत्मसंतोष के कारण है जिसमें केवल तेजी से सही होते मरीजों की संख्या और कम होती मृत्युदर की बात हो रही है। सच यह है कि इस समय रोजाना संक्रमण के सर्वाधिक मामले आ रहे हैं.
संक्रमितों की संख्या के मामले में हम दुनिया में तीसरे स्थान पर हैं और मौत के कुल आंकड़े के लिहाज से भी तीसरे स्थान पर पहुंचने वाले हैं. भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) के पूर्व अध्यक्ष डॉ के के अग्रवाल ने कहा, इस स्तर पर सरकार के प्रयासों से मामलों की संख्या पर लगाम लगाने का कोई तरीका नहीं है.
उन्होंने कहा कि अब व्यक्तिगत स्तर पर ही रोकथाम संभव है. उन्होंने कहा, अगर मौजूदा रूझान जारी रहा तो भारत (संक्रमण के मामलों में) ब्राजील और अमेरिका को पीछे छोड़ देगा. अगले छह हफ्ते में ऐसा होने की आशंका है. सरकारी प्रयासों से मामले नियंत्रित करने का कोई रास्ता नहीं है. अब व्यक्तिगत स्तर पर ही रोकथाम संभव है.
अग्रवाल ने कहा, अर्थव्यवस्था खुलने से मामलों में इजाफा होगा. लॉकडाउन लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए तैयार करने और संवेदनशील बनाने के लिए था. इस समय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि मृत्यु दर की रोकथाम की जाए. इसलिए सरकार के प्रयास मृत्यु दर को कम करने की दिशा में होने चाहिए.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 63,498 हो गई है. पिछले 24 घंटे में संक्रमण से 948 लोगों की मौत हो गयी. सरकारी सूत्रों के मुताबिक जांच बढ़ाए जाने के कारण भी ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. शनिवार को कोविड-19 की रिकॉर्ड 10.5 लाख जांच की गयी. देश में अब तक 4,14,61,636 जांच हो चुकी है.
Posted By – Arbind Kumar Mishra