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रोमांचित करने आ रहा है सालों पुराना Rambo Circus

पुणे का रैम्बो सर्कस डिजिटली लोगों का मनोरंजन करने आ रहा है. हालांकि इस बार थोड़े बदलाव के साथ.

90 के दशक के बच्चों की यादों में सर्कस की खास जगह है. बच्चे साल भर इंतजार करते थे कि उनके शहर में सर्कस कब आयेगा. कब वे कलाकारों को हवा में कलाबाजियां करते देखेंगे. कब तोते को साइकिल चलाते देखेंगे. और हाथी को फुटबॉल खेलते देखना तो कितना रोमांचक होता था. समय के साथ ये सर्कस कंपनियां गुम सी होती चली गयीं.

ऑनलाइन स्ट्रीम होने को तैयार रैम्बो सर्कस

लेकिन कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच एक सर्कस कंपनी फिर से लोगों का मनोरंजन और उन्हें रोमांचित करने को तैयार है. वो भी डिजिटली और ऑनलाइन. कंपनी का नाम है रैम्बो सर्कस. पुणे का रैम्बो सर्कस डिजिटली लोगों का मनोरंजन करने आ रहा है. हालांकि इस बार थोड़े बदलाव के साथ.

25 सितंबर को स्ट्रीम होगा पूरे 1 घंटे का शो

भारत का सबसे बड़ा और सबसे पुराना सर्कस रैम्बो 1 घंटे का ऑनलाइन शो लाने वाला है. ऐसा करने वाला ये भारत का पहला शो होगा. दर्शक कलाकारों को रस्सियों पर चलते, एक पहिये वाली साइकिल चलाते, स्लिट करते और हवा में कलाबाजियां खाते देख सकेंगे. जोकर दर्शकों को हसाएंगे भी. हैरतअंगेज जादू भी देखने को मिलेगा.

ऑनलाइन टिकट बुक कर सकते हैं दर्शक

ऑनलाइन सर्कस देखने के लिये दर्शकों को बुक माय शो पर जाकर टिकट लेना होगा. शो की स्ट्रीमिंग 25 सितंबर से होगी. ये खासतौर पर उन लोगों के लिये रोमांचित करने वाला होगा जिन्होंने 80 और 90 का दशक देखा है. सर्कस कंपनी के मालिक सुजीत दिलीप ने कहा कि हमारा उद्देश्य नई पीढ़ी के बच्चों को भी सर्कस से परिचित करवाना है.

कलाकारों के लिये शूटिंग का अनुभव अलग

क्योंकि सर्कस की स्ट्रीमिंग ऑनलाइन होनी है इसलिये पहले इसकी शूटिंग की गयी. भीड़ से अलग कैमरे के सामने परफॉर्म करना कलाकारों के लिये नया अनुभव था. क्योंकि यहां साउंड और रोशनी का भी ध्यान रखना था. कई बार एक परफेक्ट शॉट के लिये कलाकारों को काफी देर तक एक ही पॉजिशन में रस्सी में लटके रहना होता था. कलाकारों का कहना है कि ये तकलीफदेह था लेकिन रोमांचक भी.

26 जनवरी 1991 को हुई थी सर्कस की स्थापना

जानकारी के मुताबिक रैम्बो सर्कस की स्थापना 26 जनवरी 1991 को हुई थी. सर्कस देश और विदेश के कई शहरों में परफॉर्म कर चुकी है. इसके मालिक दिलीप बताते हैं कि उन्हें पुणे नगर निगम की तरफ से सम्मानित किया जा चुका है. रैम्बो सर्कस ने साल 2011 में मोंटे कार्लों में वर्ल्ड सर्कस डे सेलिब्रेशन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था.

सर्कस में संरचनात्मक बदलाव चाहते हैं मालिक

रैम्बो सर्कस कंपनी के मालिक का कहना है कि उनका इरादा सर्कस को अपग्रेड करने का था. इसमें संरचनात्मक बदलाव के साथ-साथ थ्री डी तकनीक जोड़ने की योजना थी. इसके लिये रूस और इटली जाने का प्लान था लेकिन महामारी की वजह से प्लान कैंसिल करना पड़ा.

सर्कस के मालिक दिलीप का कहना है कि भारतीय सर्कस के मानकों में सुधार करना बेहद जरूरी है. रैम्बो सर्कस आने वाले वक्त में एनिमेट्रॉनिक्स, प्रोजेक्शन मैपिंग, थ्री डी टेक्नोलॉजी और स्पेशल इफेक्ट्स जैसी चीजों के साथ खुद को अपडेट करेगा.

Posted By- Suraj Kumar Thakur

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